Burial and Cremation Ground and Mass Casualty Disposal
दफन व शमशान भूमि और जन हताहत निपटान
परिचय
Introduction
- मानव शव को निपटाने की कौन सी विधि उपयुक्त है ?
- मानव शव को किस प्रकार व कैसे निपटाना चाहिए ?
जीवन व मरण सांसारिक क्रिया है | प्रत्येक व्यक्ति जो जन्म लेता है, उसकी मृत्यु भी निश्चित है | मनुष्य के मृत्यु के बाद उसका अन्तिम संस्कार किया जाता है | विभिन्न संस्कृतियों में मानव शव का अलग-अलग प्रकार से अंतिम-संस्कार किया जाता है | जैसे:- हिन्दू धर्म में शव को लकड़ियों से जलाकर मानव शव का निपटारा या अंतिम संस्कार किया जाता है | मुस्लिम व ईसाई धर्म में मानव शव को दफनाकर मानव शव का निपटारा किया जाता है | चीन में मृत शरीर को चील-कौओं के भोजन के लिए खुले स्थान पर रखा जाता है | किसी स्थान पर नरभक्षण के रूप में भी मानव शव का निपटारा किया जाता है विकसित देशों में मानव शव के निपटारे के लिए इलैक्ट्रॉनिक मशीनों का उपयोग किया जाता है |
मानव शव के निपटारे के लिए उपयुक्त विधि अपनाना आवश्यक है | यदि मानव शव को अनुपयुक्त व अस्वच्छ विधि से निपटाया जाता है तो यह वातावरण को प्रदूषित करता है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचत सकता है |
मानव शव को निपटाने की कौन सी विधि उपयुक्त है या मानव शव को किस प्रकार व कैसे निपटाना चाहिए, जिससे वातावरण प्रदूषित ना हो, इन सब विषयों के बारे में जानेंगे |
- मानव शव का निपटान (Disposal of Human Bodies)
आदिकाल में जब मानव विकसित नहीं था | तब वह भोजन के रूप में पशुओं का कच्चा मांस खाता था | मानव व पशु एक दूसरे पर निर्भर थे तथा मानव के मरने पर पशु या मानव ही मानव शव को खा जाते थे किन्तु समय के साथ मानव विकसित हुआ तथा विश्व विभिन्न धर्मों, प्रान्तों व देशों में बंट गया | प्रत्येक धर्म, प्रान्त व देश की अपनी संस्कृति व अपना खान-पान हो गया | साथ ही मानव शव को निपटाने की प्रथा भी अलग-अलग हो गई | विभिन्न धर्मों में ही नहीं, विभिन्न देशों में भी मानव शव को निपटाने की अलग-अलग रीति (तरीका) है |
- प्राचीनकाल में मानव शव का निपटारा (Disposal of Human Bodies During Ancient Time)
- शरीर के अवशेष को अंतरिक्ष में भेजना (Sending Body Residue into Space)
- ममी बनाना (Making Mummy)
- मृत शरीर को पशुओं व पक्षियों को खिलाना (Feeding Dead Bodies to Animals and Birds)
- टावर बनाना (Making Tower)
- नदी में बहाना (Blow into River)
- दफनाना (Burial)
- विशेष चेम्बर में दफनाना (Burial in Particular Chamber)
- दाह-संस्कार (Cremation)
- समुन्द्र में दफनाना (Burial in Sea)
प्राचीन काल में मानव शव का नरभक्षण किया जाता था अर्थात मृत मानव को दूसरे सजीव मानवों द्वारा खा लिया जाता था | आधुनिक समय में इस विधि को एन्थ्रोपोफैगी के नाम से जाना जाता है | नरभक्षण विधि को सभी देशों में जघन्य अपराध माना जाता है तथा सभी देशों में इस पर प्रतिबन्ध है |
बीसवीं सदी के अंत में मानव शव को जलाकर उसके अवशेषों को केप्सूल में भरकर अंतरिक्ष में मानव शव का निपटान किया जाता था | किन्तु यह विधि अत्यधिक महंगी थी इसलिए इसका उपयोग आम आदमी द्वारा नहीं किया जाता था |
मिस्र, ऑस्ट्रेलिया के कुछ शहरों में मानव शव को उचित रसायनों का उपयोग कर संरक्षित करके रखा जाता है अर्थात मानव शव की ममी बनाई जाती है |
तिब्बत में मनुष्य की मृत्यु के बाद उसके शव को खुले स्थान में छोड़ दिया जाता है, जिससे शव को चील-कौवों द्वारा खाया जा सके | इसके लिए मृतक के परिजन शव के छोटे-छोटे टुकड़े भी करते हैं ताकि पक्षियों को शव को खाने में परेशानी ना हो | अमेरिका के कुछ भागों में मानव शव को पशुओं के भोजन के रूप में रखा जाता है | इसके पीछे यह मान्यता है कि यदि पशु मृत शरीर को अपना भोजन बनाते हैं, तो इसका तात्पर्य है कि वह व्यक्ति सज्जन था तथा उसे मोक्ष प्राप्त हो गया है |
जोरोस्ट्रियन (Zoroastrian) मानव शव को निपटाने के लिए चील घर (Tower of Silence) विधि अपनाते है जोरोस्ट्रियन के अनुसार मरने के बाद मानव शरीर राक्षसी प्रवृति से दूषित हो जाता है तथा मानव शरीर को जलाने या दफनाने से यह दूषित और अन्य जगह भी फैल सकता है | अतः जोरोस्ट्रियन मानव शव को निपटाने के लिए एक टीले रूपी इमारत बनाते है तथा उसमें मानव शव को तब तक रखा जाता है जब तक वह गल ना जाए | फिर उसके अवशेषों को पानी में बहा दिया जाता है |
सिख लोग मानव शव के अवशेषों को नदी में बहाते है | सिखों की इस रीती के पीछे यह अवधारणा है कि उनके धर्म जनक गुरु नानक ने पानी में रहकर ही आध्यात्म व मोक्ष की प्राप्ति की थी |
पश्चिमी क्षेत्र में मानव शव के निपटारे की सबसे प्रचलित विधि है - दफनाना | इस विधि के अन्तर्गत मानव शव को लकड़ी के ताबूत में रखकर जमीन में कुछ फुट गहराई में दफनाया जाता है | यह प्रथा अधिकतर मुस्लिम व ईसाई संप्रदाय में प्रचलित है |
यह प्रथा मुस्लिम व ईसाई सम्प्रदाय के मानव शव को दफनाने की प्रथा से थोड़ा अलग है | इसमें मानव शव को जमीन के सीधे सम्पर्क में नहीं दफनाया जाता, बल्कि जमीन में मानव शव को दफनाने के लिए विशेष चैंबर या कक्ष बनाए जाते हैं | दफनाने के बाद इस स्थान पर गुबंदनुमा रचना बना दी जाती है, जिससे आगामी पीढ़ी अपने पूर्वजों के दफनाने के स्थान की पूजा कर सके | यह प्रथा विशेषत: यहूदियों में प्रचलित है |
विश्व के पूर्वी क्षेत्रों, हिन्दू, सिख, जैन आदि धर्मों में मानव शव को लकड़ियों से जलाकर मानव शव का निपटारा किया जाता है तथा दहन के बाद बचे अवशेषों को नदियों के पानी में बहा दिया जाता है |
विश्व के कुछ देशों में मानव शव को ताबूत में रखकर समुन्द्र में दफना दिया जाता है | माना जाता है कि समुन्द्र की गहराई में मानव शव का विलयन अर्थात निपटारा अच्छी तरह होता है |
सामान्यत: मानव शव को निपटाने की दो विधियां अधिक प्रचलित है - या तो मानव शव को दफनाया जाता है या जलाया जाता है |


मानव शरीर को म्यूजियम में रखना या मानव शरीर को क्रायोनिक्स करना अर्थात संरक्षित करके रखना या मानव शव को इलेक्ट्रॉनिक मशीन द्वारा जलाकर नष्ट करना आदि मानव शव के निपटारे की विधियां हैं | सभी धर्म व देश अपनी सामाजिक मान्यताओं व सुविधानुसार मानव शव के निपटारे की रीती को चुनते हैं | किन्तु लोग मानव शव के निपटारे से संबंधित होने वाले प्रदूषण से अनभिज्ञ हैं | वे नहीं जानते कि अपने परिजन की मौत के बाद उसके शव के निपटारे की जिस विधि को वो अपनाते हैं, वह वातावरण को प्रदूषित करती हैं | सामान्यत: मानव शव को निपटाने की दो विधियां अधिक प्रचलित है - या तो मानव शव को दफनाया जाता है या जलाया जाता है | मानव शव को नष्ट करने की इन दोनों विधियों में से कौन सी विधि अधिक उपयुक्त है, यह कहना कठिन है | दोनों ही विधियों के अपने-अपने दोष व स्वास्थ्य हानियां है | यदि मानव शव को निपटाते समय पर्यावरण का भी ध्यान रखा जाए अर्थात निश्चित नियमों को ध्यान में रखकर मानव शव का निपटान किया जाए तो मानव शव के निपटान की प्रत्येक विधि उचित बन सकती है |