Water
जल
जल संरक्षण के स्रोत
(Sources of Water Conservation)
"जल नहीं तो कल नहीं" यह नारा हमें जल संरक्षण के लिए प्रेरित ही नहीं करता, बल्कि चेतावनी भी देता है कि जिस अदूरदशिरता से हम जल का दुरुपयोग व अपव्यय कर रहे हैं, आने वाले समय में जल के भंडार हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पाएंगे और हम जल की एक एक बूंद के लिए तरसेंगे।

जल संरक्षण का महत्व
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जिस तरह से आज विश्व की जनसंख्या बढ़ रही है व कल-कारखानों की संख्या बढ़ रही है, उससे सहज ही यह अनुमान लगाया जा सकता है कि भविष्य में हमें जल की कितनी मात्रा की आवश्यकता होगी वह हमारे पास कितना उपलब्ध होंगा। चिंतनीय विषय यह है कि हमारे वर्तमान जल स्रोत जैसे नदी, झरने, तलाब आदि सूखते जा रहे हैं व ग्लेशियर के भंडार में भी कमी होती जा रही है।
इस प्रकार हमारी आने वाली पीढ़ी, जीव-जंतु, पशु-पक्षी व संपूर्ण पर्यावरण के लिए जलाभाव एक विकट समस्या का रूप धारण कर लेगी और हो सकता है कि इससे हमारा अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाए। अत: जल संरक्षण करना जरूरी है।
जल संरक्षण से तात्पर्य है-जल को बचा कर रखना।
- प्रत्यक्ष तरीका (Direct Method)
- अप्रत्यक्ष तरीका (Indirect Method)
जल को बचाकर रखने या जल संरक्षण की दो विधियां हैं:-
जल संरक्षण या जल बचाव की प्रत्यक्ष व अप्रतक्ष्य दोनों विधियों को नीचे विस्तार से समझाया गया हैं ।
- प्रत्यक्ष तरीका (Direct Method):-
- जल की बचत करें: जल की बर्बादी को कम करने के लिए हमें जल की बचत करनी चाहिए। इसके लिए, हमें नियमित अंतराल पर नहाने का समय कम करें, बौछरों और नहाने के पानी को पुनःप्राप्त करें, लीक नलिकाओं को ठीक करें, बगीचों को स्मार्ट जलिंग प्रणालियों से सिंचें आदि।
- जल का पुनःप्रयोग करें: जल का पुनःप्रयोग करके हम जल के उपयोग को बचा सकते हैं।
- नहाने के पानी को बचाकर पौधों को सिंचें।
- वर्षा के पानी को संचित करने और पुनःप्रयोग करने के लिए जल संचयन सुविधाओं का उपयोग करें।
- वस्त्रों और व्यवसायों में उपयोग होने वाले जल को पुनःप्रयोग करें, जैसे कि पानी के उपयोग के बाद इसे शुद्ध करके और पुनःउपयोग करके वस्त्र धोएं।
- जल संग्रहण की सुविधा बनाएं: जल संग्रहण की सुविधा को अपनाकर हम वर्षा के पानी को संचित कर सकते हैं और इसे जल संरक्षण के उद्देश्यों के लिए उपयोग कर सकते हैं।
- घर में जल संग्रहण तालाब (Rainwater Harvesting Tank) स्थापित करें।
- स्कूल, कॉलेज, ऑफिस इत्यादि में छतों पर जल संग्रहण प्रणाली स्थापित करें।
- परियोजनाओं और नगरीय क्षेत्रों में जल संग्रहण के लिए नदी नालों और तालाबों की निर्माण करें।
- जल संरक्षण के लिए स्मार्ट तकनीक उपयोग करें: तकनीकी उन्नति के द्वारा हम जल संरक्षण कर सकते हैं।
- स्मार्ट जलिंग प्रणालियों का उपयोग करें जो नियंत्रणित सिंचाई कर सकती हैं और सिंचाई की जरूरत के अनुसार पानी को आपूर्ति कर सकती हैं।
- निर्माण कार्यों में जल संरक्षण के लिए स्मार्ट तकनीकों का उपयोग करें, जैसे कि जल सुधार यंत्र, जल संचयन और जल पुनःप्रयोग के लिए उच्च क्षमता वाले उपकरण।
- अप्रत्यक्ष तरीका (Indirect Method):-
- वर्षा (Rain):-
- जल संचयन व जल संग्रहण की प्रणालियाँ(Water Harvesting):-
- जल चक्र (Water Cycle) :-
- जल संसाधनों के प्रबंधन का विकास (Development of Water Resources Management):-
- जल की अर्जितता को बढ़ाना(Enhancing Water Harvesting):-
- सामाजिक जागरूकता (Social Awareness):-
दिन-प्रतिदिन के कार्यों जैसे नहाने, कपड़े धोने, पौधों में जल देने, शोच आदि की सफाई करने के लिए हमें जल की आवश्यकता पड़ती है। आवश्यकताओं की पूर्ति करते समय मानव जल का मितव्ययतापूर्ण उपयोग करें व जल की एक-एक बूंद बचाए इसी प्रकार खेत खलिहान व कल-कारखानों में भीड़ चल की सीमित मात्रा का उपयोग होना चाहिए।
प्रत्यक्ष तरीके (Direct Method) को जल संरक्षण के लिए सीधे और उपयोगी तरीकों को समझाने के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। इन तरीकों में जल के उपयोग में बदलाव लाना और जल की बर्बादी को कम करने के लिए सीधे कदम उठाए जाते हैं। यहां कुछ प्रमुख प्रत्यक्ष तरीके हैं जिनका उपयोग जल संरक्षण के लिए किया जा सकता है:-
यहां कुछ उदाहरण हैं:-

पानी बचाएं
यहां कुछ उपाय हैं:-
कुछ उदाहरण शामिल हैं:-
ये हैं कुछ प्रमुख प्रत्यक्ष तरीके जो जल को बचाने और जल संरक्षण को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं। यह तरीके सीधे और प्रभावी होते हैं और हमें जल संरक्षण के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता प्रदान कर सकते हैं।
अप्रत्यक्ष तरीके (Indirect Method) जल संरक्षण के लिए जल संसाधनों का सुरक्षित और व्यवस्थित उपयोग करने के पीछे के कारणों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इन तरीकों में जल के खपत को कम करने, जल के पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने और जल संसाधनों की प्रबंधन व्यवस्था को सुदृढ़ करने का प्रयास किया जाता है। यहां कुछ प्रमुख अप्रत्यक्ष तरीके हैं जिनका उपयोग जल संरक्षण के लिए किया जा सकता है:
विश्व के अनेक हिस्सों में मूसलाधार बारिश होती है। बारिश के जल का संचयन व संरक्षण समुचित तरीके से करना चाहिए। इसके लिए सरकार को अधिक से अधिक कुएं, बावड़ी, तालाब, पोखर, झील आदि बनवाने चाहिए जिससे बरसात का जल आगामी समय में हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उपलब्ध हो।
जल संचयन भी जल के संरक्षण का अच्छा स्रोत है जल संचयन के अंतर्गत बड़े-बड़े जल भंडार का निर्माण किया जाता है, ताकि जरूरत के वक्त इस जल का उपयोग किया जा सके।
जल संग्रहण की प्रणालियाँ स्थापित करने से हम वर्षा के पानी को संचित करके उसे बाद में उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए जल संग्रहण तालाब (Rainwater Harvesting Tank), नदी नाला तालाब आदि का निर्माण किया जा सकता है। यह पानी पीने, सिंचाई और अन्य उपयोगों के लिए उपयोगी होता है।
कोयला लोहा, सोना, हीरा आदि निकालने के लिए खदानों को गहरा खुद आ जाता है और इन खदानों से निकलने वाले जल को पंप द्वारा ऊपर खींचा जाता है। अधिकांश जल बर्बाद हो जाता है। हालांकि यह जल पीने योग्य नहीं होता, किंतु इस जल को फिल्ट्रेशन प्लांट के द्वारा साफ कर अन्य कार्यों जैसे धोने-पूछने के काम में लाया जा सकता है।
जल संसाधनों के व्यवस्थापन को सुदृढ़ करने से जल की खपत को कम किया जा सकता है। इसके लिए नदी नालों का व्यवस्थापन, जल संचयन केंद्रों की स्थापना, जल संवर्धन कार्यक्रम, पानी की बर्बादी के नियंत्रण के उपाय जैसे जल संवर्धन और नियंत्रण प्रणालियों को विकसित किया जा सकता है।
जल की अर्जितता को बढ़ाने के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक मानवीय क्रियाएं अपनाई जा सकती हैं। जैसे कि जल संचयन के लिए अन्तरजालीय पानी की खेती (Interlinking of Rivers) योजना, जल संग्रहण के लिए नाली बांधने की पहल आदि। इससे हम अतिरिक्त जल की आपूर्ति प्राप्त कर सकते हैं।
जल के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करके भी जल को बचाया जा सकता है। लोगों को इस बात की शिक्षा दी जानी चाहिए कि वह किस तरह जल बचाने में अपना योगदान दे सकते हैं, जैसे नहाने के लिए शावर नहीं बाल्टी का उपयोग करें, ब्रश करते समय या दाढ़ी बनाते समय नल को बंद रखें, नल के जल को टपकने ना दे। यदि उसमें कहीं लीकेज है तो तुरंत उसे ठीक कराएं आदि आदतें भी जल को बचाव में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।
जल की बर्बादी को कम करने के लिए हमें जल का संयंत्रित और सतत उपयोग करना चाहिए। इसके लिए जल की बचत, पानी के प्रयोग की उचितता, स्मार्ट जलिंग प्रणालियों का उपयोग, पानी की चोरी और व्यर्थ उपयोग के खिलाफ कार्रवाई आदि की जानी चाहिए।
ये हैं कुछ प्रमुख अप्रत्यक्ष तरीके जिनका उपयोग जल संरक्षण के लिए किया जा सकता है। इन तरीकों का उपयोग करके हम जल संरक्षण के लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं और जल संसाधनों को सुरक्षित रखकर भविष्य की पीढ़ियों को जल की आपूर्ति सुनिश्चित कर सकते हैं।