First Aid
प्राथमिक सहायता व उपचार
प्राथमिक सहायक का परिचय
The First Aider Must Be
- उच्च प्रशिक्षित (Highly Trained)
- परीक्षा में उत्तीण तथा निरन्तर परीक्षा में उत्तीर्ण (Examined and Regularly Re-Examined)
- ज्ञान तथा कौशल में नई नई जानकारियाँ (Up to Date in Knowledge and Skills)

प्राथमिक सहायक के उतरदायित्व
प्राथमिक उपचार के उद्देश्य तथा सीमाएं व कार्यक्षेत्र Objectives and Limitations or Scopes of First Aid read more
प्राथमिक उपचारक की विशेषताएं
Characteristics of First Aid Therapist
- विवेकशील (Observant)
- निपुण (Dexterous)
- युक्तिपूर्ण (Resourceful)
- विवेचक (Discerning)
- शनुभूतियुक्त (Sympathetic)
- सहनशील (Patient)
- शिक्षित (Educated)
- व्यवहारकुशल (Tactful)
प्राथमिक उपचार करने वाले व्यक्ति की विशेषताएं या गुण निम्न प्रकार हैं:-
प्राथमिक उपचारक का विवेकशील होना आवश्यक है जिससे वह आकस्मिक रोगी या घायल को पहचान सकें।
प्राथमिक उपचारक में ऐसी निपुणता हो कि जब वह रोगी या घायल को उठाए या बिठाए तो उसे कष्ट ना हो।
प्राथमिक उपचारक उपलब्ध साधनों का युक्तिपूर्ण प्रयोग कर रोगी व घायल की तत्काल सहायता करने वाला होना चाहिए।
प्राथमिक उपचारक में विवेचन का गुण होना चाहिए अर्थात उसमें यह योगिता होनी चाहिए कि वह यह पता लगा सकें कि रोगी या घायल की घंभीर व घातक चोटे कहां हैं तथा उनका इलाज पहले करना चाहिए।
प्राथमिक उपचारक रोगी से स्नेहपूर्ण व्यवहार करने वाला तथा उसे दिलासा देने वाला होना चाहिए।
प्राथमिक उपचारक को रोगी की गंदगी (रक्त, उल्टी, थूक आदि) सहन करने वाला तथा कठिन परिस्थितियों में भी हिम्मत ना हारने वाला होना चाहिए।
प्राथमिक उपचारक को शिक्षित होना भी आवश्यक है, जिससे वह रोगी या घायल को प्रभावपूर्ण तरीके से प्राथमिक उपचार दे सकें।
प्राथमिक उपचारक को व्यवहारकुशल होना चाहिए, जिससे वह अन्य लोगों को रोगी या घायल की सहायता हेतु समझा सकें।
प्राथमिक सहायक के उतरदायित्व
Responsibilities of First Aider
- शीघ्रता से दुर्घटना स्थल का मुआयना करें तथा सहायता को जल्दी से जल्दी दुर्घटना स्थल तक लाने का प्रबंध करें।
- संभावित खतरे से रोगी या घायलों को तथा स्वयं को बचाएं।
- दुर्घटना अथवा रोगी की प्रकृति के बारे में शीघ्र निर्णय लें।
- प्रत्येक घायल को तुरंत सहायता प्रदान करें। तथा प्रयास करें कि अधिक घंभीर घायल को पहले सहायता मिल सके।
- शीघ्रता से अस्पताल पहुंचाने के प्रबंध करें।
- चिकित्स्क को अपने द्वारा दी गई प्राथमिक सहायता का विस्तृत विवरण दें तथा वहां कुछ देर रुकें जिससे चिकित्स्क आपकी सहायता ले सकें।
प्राथमिक उपचार के दौरान ध्यान देने योग्य बातें
Factors Need to Be Considered During First Aid
- प्राथमिक उपचार देने से पहले यह जान लेना आवश्यक है कि दुर्घटना का कारण क्या है अर्थात दुर्घटना का कारण रोग, जैसे:- ब्लड प्रेशर, मिर्गी, शुगर आदि है अथवा अन्य कारण जसे:-एक्सीडेंट, विष खाना, फंदा लगाना, बिजली का करंट लगना इत्यादि। उसी के अनुसार उपचार देना आवश्यक है।
- रोगी की स्थिति कैसी है, उसको कितनी, कैसी और कहां तक सहायता दी जाए, इन पर विचार करना चाहिए।
- घायल अथवा रोगी के घरवालों को सूचित करना चाहिए।
- घायलों को जल्द से जल्द डॉक्टरी सहायता उपलब्ध कराई जनि चाहिए।
- ऐसी वस्तुओं को सुरक्षित रखना चाहिए जिनका घायल की चोट व रोग से संबंध हो।
- रोगी में जीवन संकेत ना मिलने पर उसे तब तक मृत ना समझें जब तक डॉक्टर इसकी पुष्टि ना कर दें।
- घायलों व रोगी के आस-पास भीड़ व शोर नहीं होना चाहिए।
- घायल को जिस स्थिति में आराम मिले, उसी स्थिति में रखना चाहिए।
- यदि घायल या रोगी की सांस रुक गई है तो उसे कृत्रिम सांस देना चाहिए।
- यदि घायल या रोगी की हड्डी टूटी है तो उस स्थान को बिना हिलाए उसी स्थिति में रोगी को ठीक करने की कोशिश करनी चाहिए।
- किसी ने विष खा लिया है तो उसके प्रतिविष द्वारा विष नष्ट करने की व्यवस्था करनी चाहिए।
- जहां तक हो सकें घायल या रोगी के कसे कपड़े केवल ढीले कर दें, उतरने की कोशिश ना करें।
- जब रोगी कुछ खाने योग्य हो तब उसे चाय, कॉफी, दूध इत्यादि पदार्थ पिलाए।
- रोगी को होश में लेन के लिए स्मेलिंग सॉल्ट (Smelling Salt) सुंघाएं।
प्राथमिक उपचार देते समय कुछ आवश्यक बातें ध्यान में रखनी चाहिए जो निम्न प्रकार हैं:-
प्राथमिक सहायता के सुनहरे नियम
Golden Rules of First Aid
- आपातकालीन स्थिति में DRSABCDE का प्रयोग करें यदि व्यक्ति के शरीर में कोई हलचल/प्रतिक्रिया (Response) नहीं है तो उसे CPR (Cardio Pulmonary Resuscitation) प्रारम्भ करें।
- यदि घावों से रक्तस्राव (Bleeding) हो रही है तो प्रत्यक्ष दबाव से रोकें।
- सदमा (Shock) को रोकें तथा उसका उपचार करें।
- बेहोश (Unconscious) रोगी को अधोमुखी अवस्था (Recovery Position) में रखें।
- टूटी हुई हड्डियों को खपच्चियों तथा पट्टियों द्वारा स्थिर करने का प्रयास करें। (Immobilization)
- रीढ़ की हड्डियों को चोट (spinal Injury) वाले रोगी को सख्त बिस्तर या (Scoop Stretcher, Spine Board) पर बाँधकर तथा गर्दन को सहारा (Neck Rest) देकर ले जाएं।
- यदि प्राथमिक सहायता के साधन जैसे स्ट्रेचर, खपच्चियाँ, फर्स्ट एड बॉक्स मरहम पट्टियां न मिलें तो उनको साधनकुशलता (Improvisation) से प्राप्त करें। या उनके वैकल्पिक साधनों का उपयोग करें।
- शांत रहें, धैर्य रखे तथा सामान्य ज्ञान का प्रयोग करें।
- रोगी का निरीक्षण करें तथा उसे सांत्वना (Psychological Reassurance) दें।
- दुर्घटना में प्रमुख घाव, बड़े फ्रेक्चर, अधिक रक्त का बहना तथा सदमे में यह सुनिश्चित करें कि घायल या रोगी को प्रथम एक घंटे में या जितनी जल्दी संभव हो अस्पताल पहुचायें। इसे सुनहरा घंटा (Golden Hour) कहते हैं।