Water
जल
जल-जनित रोग
(Water Borne Diseases)
- जैविक अशुद्धियां
- अजैविक अशुद्धियां
- जैविक अशुद्धियां
- अजैविक अशुद्धियां
जल-जनित रोगों का मुख्य कारण जल में व्याप्त अशुद्धियां होती है जल में अशुद्धियां 2 तरीके की होती हैं:-

जैविक अशुद्धियों जैसे पशुओं के मल मूत्र वनस्पति व सब्जियों के कचरे और मानवीय मल मूत्र के निकास द्वारा सीवर लाइन को सार्वजनिक जल संसाधन से जोड़ने पर जल प्रदूषित होता है तथा अफजल में है। आज विश्व में जल जनित रोगों का भार 4.1 प्रतिशत है करीब 1.8 मिलियन व्यक्ति प्रतिवर्ष जल जनित रोगों के कारण मौत के मुंह में चले जाते हैं। आज विश्व के विकासशील देश ही नहीं विकसित देश की जल जनित रोगों की समस्या से ग्रस्त हैं।
अजैविक विरोधियों में मिट्टी के कारण चाक घर तथा अनेक प्रकार के रसायनिक तत्व जैसे कैंडमियम लैंड मरकरी निकेल सिल्वर मैग्निशियम आधे मिले रहते हैं। इन तत्वों की बहुत कम मात्रा ही मानव शरीर पचा (Absorb) पाता है। जल में उपस्थित इन तत्वों की आवश्यकता से अधिक मात्रा मानव के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है तथा उसे अनेक रोग जैसे मैग्नीशियम की अधिकता से आंतों की जलन, फ्लोरिंग की अधिकता से फ्लोरोसिस रोग, नाइट्रेट की अधिकता से मेटा हीमोग्लोबिन आदि हो सकते हैं।
Safe and Wholesome Water and Its Sources सुरक्षित व पोस्टिक जल और इसके स्रोत read more
- विषाणु द्वारा (By Virus)
- जीवाणु द्वारा (By Bacteria)
- प्रोटोजोआ द्वारा (By Protozoa)
- कीड़े द्वारा (By Worm)
जल में पनपने वाले सूक्ष्म जीवों के द्वारा होने वाले कुछ रोगों की सूची निम्न है:-
पीलिय, पोलियो, गैस्ट्रोएन्टराइटिस, चेचक आदि।
हैजा, डायरिया, पेचिश, जापानी बुखार, टाइफाइड आदि।
मलेरिया, निंद्रा रोग, पायरिया, अमीबियोसिस आदि।
फाइलेरिया, हाइडिट, सिस्ट रोग तथा पेट के कीड़े आदि।
- डायरिया (diarrhea)
- हैजा (Cholera)
- टायफाइड (Typhoid)
- जापानी मस्तिष्क बुखार (Japanese Encephalitis Fever)
- फाइलेरिया (Filariasis)
- हेपेटाइटिस (Hepatitis)
- शिजेलोसिस (Shigellosis)
- डेंगू (Dengue)
इनमें से कुछ प्रमुख बीमारियों का विवरण नीचे दिया गया है:-
प्रदूषित जल व डायरिया का गहरा संबंध है। प्रदूषित जल के प्रयोग से सबसे अधिक फैलने वाला रोग डायरिया है। डायरिया रोग मुख्यत: 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में अधिक फैलता है। डायरिया का संक्रमण प्रदूषित जल पीने या प्रदूषित भोजन करने से होता है। डायरिया रोग व्यक्ति में जल की कमी उत्पन्न कर उसकी मृत्यु का कारण बनता है।
भारत में प्रतिवर्ष हजारों लोग हैजा के कारण मरते हैं। हैजा के कारण सबसे अधिक मौतें उन क्षेत्रों में होती हैं, जिन क्षेत्रों में पीने का स्वच्छ व पौष्टिक जल उपलब्ध नहीं हैं। जैसे:- उड़ीसा में 2010 में 146 लोग हैजा के कारण मारे गए। हैजा एक जीवाणु-जनित रोग है। जो प्रदूषित जल के उपयोग के कारण फैलता है। हैजा की प्रवृति डायरिया रोग की तरह होती है। यह भी मानव में जल की कमी उत्पन्न कर उसकी मौत का कारण बनता है।
टायफाइड रोग जीवाणु जनित रोग है। यह प्लाज्मोडियम (Plasmodium) परजीवी, मच्छर के द्वारा फैलता है। टाइफाइड रोग के मच्छर झील, कुएं, कूलर का जल या उन जगहों पर पनपते हैं, जहां जल का जमाव होता है। मलेरिया रोग में व्यक्ति को बुखार, सिरदर्द व उल्टी की शिकायत होती है। मलेरिया का संक्रमण मात्र एक हफ्ते के अंदर फैलता है। अतः इसका तुरंत उपचार कराना जरूरी है।
जापानी मस्तिष्क बुखार क्युलेक्स विष्णुई (Culex vishnui) और क्युलेक्स ट्रिटेनिओरिक्स (culex tritaeniorhynchus) के मच्छरों के द्वारा फैलता है। जापानी बुखार के मच्छर अधिकतर खेतों की गीली मिट्टी में पनपते हैं। भारत में जापानी बुखार का षिक प्रकोप बच्चों पर है, जो आगे जाकर उनकी मृत्यु का कारण बनता है।
फाइलेरिया परजीवी रोग है, जो अधिकतर उन लोगों को होता है जो गंदे नाले या सीवर लाइन के जल का जमाव होने वाले स्थान के आस-पास रहते हैं। हालांकि फाइलेरिया (Filariasis) का कीड़ा (Worm) गंदे जल में पनपता है, किन्तु इसके वाहक मच्छर साफ व ताजे जल में पनपते हैं। जल-जनित यह रोग शरीर के विभिन्न भागों को बहुत तेजी से संक्रमण करता है। फाइलेरिया (Filariasis) के कारण व्यक्ति अंधा हो सकता है, त्वचा पर दाने हो सकते हैं तथा मस्तिष्क का बुखार होकर व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है।
यह जल-जनित रोग वायरस के कारण होता है। इसमें रोगी को बुखार, पीला व काला मूत्र, ठण्ड लगना आदि शिकायतें हो सकती हैं।
यह रोग बैक्टीरिया द्वारा होता है। इसके लक्षण डायरिया, हैजा आदि से मिलते-जुलते हैं।
डेंगू के मच्छर (एडिस मच्छर) साफ जल में पनपते हैं व दिन में काटते हैं। डेंगू भयानक जल-जनित रोग है। आज भारत में डेंगू का प्रकोप बहुत अधिक है।
उपरोक्त जल-जनित रोगों के अलावा भी अनेक रोग जल के कारण होते हैं। जल-जनित रोगों से बचने के लिए जल को हमेशा ढककर रखें, अपने आस-पास जल जमा ना होने दें, व नदियों, झीलों, कुओं आदि की सफाई करवाते रहें। प्रदूषित पनपने वाले मच्छर-मक्खी अनेक संक्रमण रोगों के वाहक होते हैं, जिससे संक्रमण रोगों का प्रसार बहुत तेजी से होता है। अतः जल-जनित रोग व उनके लिए उत्तरदायी कारणों का निदान जरूरी है।