Solid Waste Disposal
ठोस अपशिष्ट निपटान
ठोस अपशिष्ट पदार्थों के स्त्रोत
SOURCES OF SOLID WASTE
शोध बताते है कि भारत में प्रतिवर्ष 36.5 मिलियन टन कचरा निकलता है। भारत की तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या ने कचरे की मात्रा को और अधिक बढ़ाया है। भारत की राजधानी दिल्ली में (Times of India के अनुसार) 150 मिलियन टन कचरा निकलता है, जिनमें से केवल 10-15 प्रतिशत कचरा ही निपटाया (Dispose) जाता है, बाकि कचरा ढेरों के रूप में जगह-जगह एकत्रित होता रहता है।
"दिल्ली में 150 मिलियन टन कचरा निकलता है।"
कचरे की मात्रा स्थानीय प्रशासन और गवर्नमेंट की रिपोर्टिंग, और विभिन्न स्रोतों से निर्धारित होती है, और इसमें विभिन्न प्रकार के कचरे शामिल हो सकते हैं, जैसे घरेलू कचरा, औद्योगिक कचरा, और अन्य श्रेणियों का कचरा।

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कचरे की मात्रा का सटीक आंकड़ा प्राधिकृतिक और नगर निगमों द्वारा प्रकट किया जाता है, और यह साल के समय में बदल सकता है। इसलिए, कचरे की मात्रा के बारे में सटीक और आधिकारिक जानकारी प्राप्त करने के लिए स्थानीय प्रशासन और सरकारी स्रोतों की जांच की आवश्यकता होती है।
- घरेलू कचरा (Domestic Waste):-
- औद्योगिक कचरा (Industrial Waste):-
- वाणिज्यिक कचरा (Commercial Waste):-
- संस्थानों का कचरा (Institutional Waste):-
- निर्माण कार्यों का कचरा (Constructional Waste):-
- कृषि क्षेत्र का कचरा (Agricultural Waste):-
- नगरपालिका का कचरा (Municipal Waste):-
भारत सहित अन्य अविकसित देशों में कचरे की उत्पत्ति के मुख्य स्त्रोत निम्न हैं-
अविकसित देशों में सबसे अधिक ठोस कचरा घरों से निकलता है। बचे भोजन, सब्जी, भाजी के छिलके, कागज, प्लास्टिक, कांच, प्लास्टिक की थैली, कार्ड बोर्ड, लैदर, लकड़ी का सामान, जूते-चप्पल, कोयला, राख आदि घरों से निकलने वाला कचरा वातावरण को प्रदूषित करता है व कचरे की मात्रा बढ़ाता है।
विभिन्न प्रकार के उद्योग अलग-अलग तरह के ठोस कचरे की मात्रा को बढाते हैं जैसे- खाद्य उद्योग (Food Industry), पैकेजिंग वेस्ट (Packaging Waste) को बढ़ाती हैं, वहीं निर्माण सामग्री उद्योग (Building Material Industry), निर्माण कार्य अपशिष्ट (Construction Waste) को बढ़ाते हैं। दवाई फैक्टरी, रंग उद्योग व अन्य केमिकल फैक्टरी जहरीले रसायन, राख व विशेष व्यर्थ पदार्थों की मात्रा को बढ़ाते हैं।
होटल, रेस्टॉरेंट, मार्केट, स्टोर, ऑफिस आदि वाणिज्यिक क्षेत्र पेपर, कार्डबोर्ड. गत्ते, दौने, पत्तल, डिस्पोजेबल गिलास, कांच, लकड़ी आदि के रूप में ठोस कचरे की मात्रा को बढ़ाते हैं।
स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल तथा सार्वजनिक व निजी संस्थान भी पेपर, कम्प्यूटर, कूलर, ए.सी जैसे ठोस इलेक्ट्रॉनिक कचरे को बढ़ा देते हैं।
सड़कों की मरम्मत, इमारतों की मरम्मत व अन्य नया निर्माणाधीन भवन, सड़क, इमारत भी कंक्रीट, लकड़ी, स्टील आदि के रूप में ठोस कचरा फैलाती हैं।
घरेलू कचरे के बाद सबसे अधिक कचरा कृषि क्षेत्र का होता है। फसलों के काटने से लेकर फसलों को साफ करने तक का कचरा, पशुओं के अपशिष्ट पदार्थ (गोबर) का कचरा तथा फसलों को बोने के लिए मिट्टी खोदना, रासायनिक पदार्थों का उपयोग आदि सभी कृषि क्षेत्र की क्रियाएं, कचरे की मात्रा को बढ़ा देती हैं।
गलियों को साफ करके, पानी के स्त्रोतों की सफाई करके, पार्क या अन्य आवासीय स्थानों को साफ करके यदि नगरपालिका कचरे को उचित तरीके से निपटारा (Disposal) नहीं करती, तो वह कचरा आवारा पशुओं, हवा या अन्य तरीके से इधर-उधर बिखर जाता है व अन्य स्वच्छ स्थानों को भी प्रदूषित कर कचरे की मात्रा बढ़ा देता है।
कचरे की मात्रा का सटीक आंकड़ा स्थानीय प्रशासन और सरकारी स्रोतों द्वारा प्रकट किया जाता है, और यह समय के साथ बदल सकता है जैसे कि शहर की आबादी और अन्य कारकों के परिवर्तन के साथ।
कचरे के प्रबंधन और सुरक्षित निस्क्रियण की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है, ताकि इसका पर्यावरण और सामाजिक स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं पड़े।