Labour Welfare Legislation
श्रमिक कल्याण अधिनियम
Factory Act 1948
कारखाना अधिनियम 1948
- कारखाना अधिनियम 1948 के प्रमुख उपबन्ध
- स्वास्थ्य, सुरक्षा और कल्याण
- कार्य के घंटो का निर्धारण
- मजदूरी सहित वार्षिक अवकाश
- युवा पुरुष और महिलाओं का समायोजन
- छटनी किए गए कामगारों को हर्जाना
- व्यावसायिक बीमारियां
- स्वास्थ्य, सुरक्षा और कल्याण
- कार्य के घंटो का निर्धारण
- मजदूरी सहित वार्षिक अवकाश
- मजदूरी सहित अवकाश प्राप्त करने के लिए 20 दिन कार्य के बाद एक दिन की छुट्टी।
- एक बालक के लिए मजदूरी सहित एक दिन का अवकाश 15 दिन का कार्य करने के बाद मिलेगा।
- महिला श्रमिक को प्रसूति अवकाश किसी भी दशा में तीन सप्ताह से अधिक नहीं मिलेगा।
- युवा, पुरुष और महिलाओ का समायोजन
- छटनी किए गए कामगारों को हर्जाना
- व्यावसायिक बीमारियां
स्वास्थ्य:-
प्रत्येक नियोजक का यह दायित्व है की वह अपने यहां काम करने वाले कामगारों के स्वास्थ्य का ध्यान रखे। इस अधिवियम के द्वारा प्रत्येक कामगार के स्वास्थ्य, सुरक्षा और कल्याण का पूरा ध्यान रखा जाता है। प्रत्येक नियोजक का यह दायत्व है की वह उद्योग में साफ,सफाई,कार्यशालाओं की गन्दगी की सफाई के लिए प्रति सप्ताह शेड्यूल बनाकर पानी से धुलाई आदि की व्यवस्था करें और तीन सफेदी, पुताई भी करवाई जाए। पर्याप्त रोशनदान एवं हवा की क्रॉसिग के लिए उचित प्रकार से खिड़कियों का प्रबंध करें। कार्यशालाओं में पिने के पानी की उपलब्धता, मूत्रालय एवं शौचालय की उचित व्यवस्था करें जिससे प्रत्येक कामगार के स्वास्थ्य को क्षति न पहुंचे और स्वास्थ्य की दृष्टि से वह अपने आपको स्वस्थ महसूस कर सकें।

सुरक्षा:-
श्रमिकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए इस अधिनियम में यह व्यवस्था की गई है की मशीनों को बाड़ा (Fencing) लगाना चाहिए। मशीनों के आस-पास उचित स्थान हो, अगर तंग स्थान होगा तो कारीगरों की सुरक्षा को खतरा बना रहता है। आपात स्थिति के लिए उचित गेट की व्यवस्था हो जिससे श्रमिकों को सुरक्षित निकाला जा सकें। आग लगने वाले स्थानों पर अग्निशामक यंत्र लगे होने चाहिए। श्रमिकों को आग लगने पर स्वयं के बचाव हेतु प्रशिक्षण की व्यवस्था की जानी आवश्यक है। कारखानों के निरीक्षण की व्यवस्था की जानी आवश्यक है। कारखानों का निरिक्षण समय-समय पर किया जाना चाहिए जिससे यह पता लग सके कि कारखानों में सुरक्षा के उचित उपाय है अथवा नहीं।
कल्याण:-
इस अधिनियम में श्रमिकों के कल्याणार्थ यह व्यवस्था है कि प्रत्येक श्रमिक के बच्चों की शिक्षा का प्रबन्ध, आवास, चिकित्सा सुविधा, भोजन कक्ष, विश्राम कक्ष एवं मनोरंजन की व्यवस्था होनी चाहिए।
यदि किसी उद्योग में तीन से अधिक महिला कामगार हों तो वहां शिशु गृह की व्यवस्था की जानी चाहिए जिससे वे 6 माह तक के बच्चे को किसी परिचारिका के पास छोड़ सकें।
इस अधिनियम में यह व्यवस्था की गई है कि कोई भी नियोक्ता अपने कामगार को एक सप्ताह में 48 घंटे से अधिक काम करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। किसी भी वयस्क कामगार को किसी भी दिन एक कारखाने में 9 घन्टे से अधिक काम करने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा और ना ही उसे काम करने की अनुमति दी जाएगी। 4 घंटे काम करने के बाद आधे घंटे का विश्राम करने दिया जाएगा फिर 4 घंटे काम लिया जाएगा।

14 वर्ष से काम आयु के बच्चों को कारखानों में नौकरी के रूप में नहीं रखा जा सकता। यदि किसी बच्चे की आयु 14 वर्ष से ऊपर है तो उसे 5 घंटे की एक पारी में ही काम करने की अनुमति है, दोनों परियों में नहीं। इसके साथ उसके लिए स्वास्थ्य परीक्षण एवं आयु का निर्धारण निर्धारण किसी चिकित्स्क से करना होगा। महिला कामगारों से भी पुरुषों की तरह केवल 8 घंटे प्रतिदिन काम लिया जा सकता है। महिला कामगारों को सांयकाल 7 बजे से प्रात: 5 बजे के बीच में काम करने की अनुमति नहीं होगी अर्थातृ काम करने नहीं दिया जाएगा। सन 2005 में केंद्र सरकार द्वारा किए गए संशोधन के मुताबिक यदि औधोगिक मैनेजमेंट महिला कामगारों को उचित सुरक्षा (कार्यस्थल से निवासस्थल तक) प्रदान करने की व्यवस्था करें तो उनसे सांयकाल 7 बजे से प्रात: 5 बजे तक काम लिया जा सकता है। साधारणत: प्रात: 9 बजे से सांयकाल 7 बजे तक ही महिला कामगारों से कम लिया जा सकता है।

ऐसा श्रमिक अथवा कामगार जो एक वर्ष की कलेंडर अवधि में 240 दिन या इससे अधिक काम पर रहता है उसे सवेतन अर्थातृ मजदूरी सहित वार्षिक अवकाश मिलेगा | सवेतन अवकाश निम्न विधि द्वारा दिया जाएगा:-
कारखाना अधिनियम 1948 में उल्लेख है कि कोई भी बालक यदि 14 वर्ष से कम आयु का है तो वह किसी भी उद्योग में काम नहीं कर सकता। किसी पुरुष/महिला को रोजगार मिलने बाद ड्यूटी जॉइन करते समय पहले चिकित्सा अधिकारी द्वारा प्रदत्त स्वास्थ्य प्रमाणपत्र (Fitness Certificate) कार्यालय में जमा करना होगा।
कारखाना अधिनियम 1948 में संशोधन अनुसार छंटनी किए गए कामगार को उसके द्वारा पूरी की गयी सेवा अवधि के प्रत्येक वर्ष के लिए 15 दिनों के औसत वेतन दर से (वेतन दर अंतिम दस माह का वेतन औसत) हर्जाना देय होगा।
राज्य सरकार द्वारा कारखाना अधिनियम में यह प्रावधान किया गया हे कि कारखाने में उत्पादन करते समय किसी श्रमिक को यदि शारीरिक चोट या कोई खतनाक बीमारी उत्तपन्न होने का खतरा हो तो उससे बचाव के लिए कारखाने के मालिक को मुआवजे की व्यवस्था करनी होगी।