Labour Welfare Legislation
श्रमिक कल्याण अधिनियम
Factory Act 1948
कारखाना अधिनियम 1948
- कारखाना अधिनियम 1948 क्या हैं ?
- कारखाना अधिनियम 1948 के क्या कार्य हैं ?
- कारखाना अधिनियम 1948 का कार्य क्षेत्र क्या हैं ?
- कारखाना अधिनियम 1948 के उपबन्ध व प्रावधान क्या हैं ?
- कारखाना अधिनियम 1948 की मुख्य विशेषताएं क्या हैं ?

Factory(कारखाना)
कारखाना अधिनियम 1948, श्रमिकों के हितों एवं संरक्षण के लिए केंद्र सरकार ने 28 अगस्त 1948 को संसद से पारित करवाया। भारतीय गवर्नर जनरल द्वारा 23 सितम्बर 1948 को इसे स्वीकृति प्रदान की गई। 1 अप्रैल 1949 को जम्मू-कश्मीर प्रान्त को छोड़कर इसे पुरे देश में लागू किया गया।
कारखाना अधिनियम 1948 का मुख्य उद्देश्य पर्याप्त सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करना और कारखानों में कार्यरत श्रमिकों के स्वास्थ्य और कल्याण, कार्य के घंटो का निर्धारण और महिला व पुरुष कामगार के बीच भेद-भाव को रोकना तथा साथ-साथ कारखानों के बेतरतीब विकास को रोकना है।
- नियोजक और कामगारों के बीच अच्छे सम्बन्ध स्थापित करना।
- नियोजक और कामगारों के बीच उतपन्न विवाद को निपटाना।
- श्रमिक हितों को ध्यान में रखते हुए उनके कार्यस्थल एवं स्वास्थ्य से सम्बन्धित नियमावली बनाना।
- कामगारों के कार्यस्थल पर कार्य के घंटो का निर्धारण करना।
- कामगारों के वेतन, छुटियों आदि के लिए नियम बनाना।
- श्रमिकों के लिए आवास सुविधा का प्रबंध करना।
- अधिनियम के हितों की रक्षा करना।
- कामगारों के आश्रितों की रक्षा करना।
- कार्यस्थल पर कामगारों की मशीनों से सुरक्षा हेतु बचाव नियम बनाना।
कारखाना अधिनियम के उदेश्य:-
कारखाना अधिनियम का कार्यक्षेत्र
ऐसे प्रतिष्ठान जहां विधुत द्वारा उत्पादन का कार्य होता है तथा कम से कम दस व्यक्ति काम करते हों या विधुत का प्रयोग किए बिना उत्पादन कार्य होता हो तथा बीस या इससे अधिक व्यक्ति काम करते हों वहां पर यह अधिनियम लागू होगा।

कारखाना अधिनियम का कार्यक्षेत्र
- स्वास्थ्य, सुरक्षा और कल्याण
- कार्य के घंटो का निर्धारण
- मजदूरी सहित वार्षिक अवकाश
- युवा पुरुष और महिलाओं का समायोजन
- छटनी किए गए कामगारों को हर्जाना
- व्यावसायिक बीमारियां
कारखाना अधिनियम 1948 के प्रमुख उपबन्ध
- हानिकारक प्रक्रियाएं
- प्रशासन
- क्रियान्वयन एवं लागू किया जाना
- अपराध के लिए दंड का प्रावधान