Food and Nutrition
भोजन और पोषण
Health and Disease
स्वास्थ्य एवं रोग
मानव के भौतिक, मानसिक व सामाजिक रूप से पूर्णत: ठीक रहने की अवस्था को स्वास्थ्य कहते है।
- मानव का स्वास्थ्य मुख्ता निम्न बातों पर निर्भर करता है :-
- संतुलित भोजन पर
- नियमित व्यायाम पर
- सुरक्षित व स्वच्छ निवास स्थान पर
- पर्याप्त नींद पर
- व्यक्तिगत स्वच्छता व वातावरणीय स्वच्छता पर
- आर्थिक स्थिति पर

- अल्पकालीन रोग (Acute Diseases) :-
- दीर्घकालीन रोग (Chronic Diseases) :-
रोग क्या है ?
What is Disease ?
मानव के भौतिक व मानविक अवस्था में खराबी या विकार उत्पन्न होने, जिसके कारण व्यक्ति अस्वस्थ हो जाता है, रोग कहलाता है।
रोग के मुख्यता: दो प्रकार है :-
जो रोग अल्पकालीन समय के लिए हो, उन्हेंअल्पकालीन रोग (Acute Diseases)कहते है। जैसे:- सामान्य जुकाम (Common Cold), इन्फ्लुएंजा (Influenza), टाइफाइड (Typhoid)आदि।अल्पकालीन रोग (Acute Diseases)मानव शरीर को अधिक नुकसान नहीं पहुंचाते क्योंकि ये बहुत कम समय के लिए होते है तथा साधारण उपचार द्वारा इनको ठीक किया जा सकता है।
दीर्घकालीन रोग (Chronic Disease) व्यक्ति को लम्बे समय तक रोगग्रस्त करते है। ये मानव के अनेक अंगो को क्षतिग्रस्त कर सकते है। ये रोग व्यक्ति के स्वास्थ्य व सामान्य जीवन में बाध्य होते है। इनके कारण व्यक्ति लम्बे समय तक अस्वस्थ्य रहता है। जैसे यक्ष्मा (Tuberculosis), उच्च रक्तचाप (Hypertension), मधुमेह (Diabetes) आदि।
स्वास्थ्य व रोग का गहरा संबंध माना जाता। कहा जाता है कि जो व्यक्ति स्वस्थ है, वह निरोगी है और जो रोगी है, वह अस्वस्थ है। किन्तु यह आवश्यक नहीं है कि स्वस्थ व्यक्ति कभी बीमार ना पड़े। हां इतना अवश्य है कि स्वस्थ व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है। इस कारण वह कम बीमार पड़ता है।
वास्तव में स्वास्थ्य का तात्पर्य रोगरहित होना नहीं होता बल्कि स्वास्थ्य सेतात्पर्य मनुष्य की वह मानसिक, भौतिक व सामाजिक अवस्था से होता है, जिसमें व्यक्ति पूर्णत: स्वस्थ अनुभव करे व प्रसन्ता व ऊर्जा से अपने सारे दैनिक कार्य को करे। मानव से स्वास्थ्य पर ( अल्पकालीन रोगों को छोड़कर) रोग गहरा असर करते है। रोग व्यक्ति की भौतिक व मानसिक अवस्था को हानि पहुंचाते है, जिससे व्यक्ति अपने दैनिक कार्य को करने में कठिनाई अनुभव करता है। जैसे :- एक स्वस्थ वयस्क व्यक्ति अपने व्यापार अस्वस्थ व्यक्ति के व्यवहार में अपनी जिम्मेदारी वहन करते समय चिड़चिड़ापन आ जाता है।
चूंकि रोग व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित करते है, किन्तु यह भी सत्य है कि एक रोगग्रस्त व्यक्ति भी अपने उचित आहार, जीवनशैली, व्यायाम, सामाजिक वातावरण व उचित उपचार द्वारा स्वयं को स्वस्थ रख सकता है तथा अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से रोगों के प्रभावों को अप्रभावी कर स्वस्थ जीवन जी सकता है। जैसे :- आपने देखा होगा कि कैंसर जैसे खतरनाक रोग से पीड़ित होने पर भी कई लोगों ने इस रोग को मात दी है। अब वे स्वस्थ एवं सहज जीवन जी रहे है। इस श्रेणी में हम अपने भारतीय क्रिकेटर युवराज सिंह का उदाहरण ले सकते है।
क्योंकि एक रोगग्रस्त व्यक्ति भी स्वस्थ जीवन जी सकता है, किन्तु इसके लिए उसे बहुत अधिक प्रयास व जीवन भर दवाईयों का बोझ ढोना पड़ता है। उसकी जिंदगी परहेजों की जंजीरों से बंध जाती है लेकिन स्वस्थ जीवन के लिए यह आवश्यक है। किन्तु वहीं एक स्वस्थ व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता प्राकृतिक होती है। उसे अपने स्वस्थ जीवन के लिए किसी विशेष प्रयास, दवाई व बंदिशों का सामना नहीं करना पड़ता। इसलिए यह आवश्यक है की व्यक्ति ऐसी परिस्थियां उत्पन्न करे कि वह प्राकृतिक रूप से ही स्वस्थ रहे व रोगग्रस्त ना हो। इसके लिए व्यक्ति को निम्नप्रयास करने आवश्यक है :-
- भोजन (Food):-
- व्यक्तिगत स्वच्छता (Personal Hygiene):-
- वातावरणीय स्वच्छता (Environmental Hygiene):-
- सामाजिक वातावरण (Social Environment):-
प्राकृतिक रूप से ही स्वस्थ व रोगग्रस्त रहने के लिए व्यक्ति को निम्नप्रयास करने आवश्यक है:-
स्वस्थ जीवन के लिए संतुलित भोजन अत्यन्त महत्वपूर्ण व आवश्यक तत्व है। असंतुलित भोजन व्यक्ति को कुपोषण, मोटापा, ह्रदय रोग आदि से ग्रसित कर सकता है।
स्वस्थ जीवन में व्यक्तिगत स्वच्छता विशेष महत्व रखती है। स्नान ना करना, दन्त साफ ना करना, शौच के बाद हाथ न धोना आदि अस्वच्छ्ताएं व्यक्ति को रोगग्रस्त कर सकती है।
केवल व्यक्तिगत स्वच्छता ही नहीं पर्यावरणीय स्वच्छता भी व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। प्रदूषण, गंदगी, अस्वच्छ जल आदि व्यक्ति को रोगग्रस्त कर सकते है।
सामाजिक वातावरण व्यक्ति के दिमाग व मन को प्रभावित करता है। आपसी प्रेम व सहयोग का सामाजिक वातावरण व्यक्ति को मानसिक रूप से स्वस्थ व मजबूत बनता है। वही सामाजिक अशांति, गली-गलौज, धृणा, लड़ाई-झगड़े तनाव उत्पन्न करते है, जिससे व्यक्ति अस्वस्थ हो सकता है। उपरोक्त के अलावा आर्थिक स्थिति, जीवनशैली, व्यायाम आदि भी व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित करते है। अत: व्यक्ति उचित खान-पान, व्यायाम, व्यक्तिगत व वातावरणीय स्वच्छता, सामाजिक शांति व उचित जीवनशैली द्वारा स्वस्थ जीवन प्राप्त कर सकता है, जो उसे निरोगी रखने में सहायक है।