Labour Welfare Legislation
श्रमिक कल्याण अधिनियम
Introduction
परिचय
- श्रम की क्या परिभाषा है ?
- क्या श्रमिक अधिकार मानवाधिकार हैं ?
- श्रमिकों के अधिकार क्या है ?
- भारत में कुल कितने श्रम अधिनियम है ?
- मजदूरी ना देने पर कौन सी धारा लगती है ?
- श्रम कानून क्यों है ?

श्रमिक
शारीरिक या मानसिक रुप से किया गया कोई भी कार्य श्रम ही है, जिसके बदले में मजदूरी की प्राप्ति होती है। यदि कोई प्राणी अगर किसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए मानसिक या शारीरिक कार्य किया जाता है, तो वह श्रम कहलाता हैं।
श्रम अधिकार या श्रमिकों के अधिकार श्रमिकों और नियोक्ताओं के बीच श्रम संबंधों से संबंधित कानूनी अधिकार और मानव अधिकार दोनों हैं। ये अधिकार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय श्रम और रोजगार कानून में संहिताबद्ध हैं। सामान्य तौर पर, ये अधिकार रोजगार के संबंधों में काम करने की स्थिति को प्रभावित करते हैं।
भारत के संविधान में वर्तमान में 128 श्रम तथा औद्योगिक विधान लागू किये जा चुके हैं।

श्रमिकों से मनचाहा काम लेना
औद्योगिक जगत में कारखानों के निरन्तर होते विकास के फलस्वरूप उधोगों में अधिक से अधिक लोग काम करने लगे। श्रमिकों से मनचाहा काम लेना, मजदूरी भी कम से कम देना आदि प्रकार से उद्योगपतियों द्वारा श्रमिकों का शोषण होने लगा। इस शोषण को रोकने के लिए तथा श्रमिकों के हितों की रक्षा करने के लिए सरकार द्वारा कुछ कानून बनाए गए। इन्हें श्रमिक कानून या औद्योगिक अधिनियम कहते है। इनके अलावा सरकार द्वारा श्रम न्यायालयों की भी स्थापना की गयी।
अगर कोई नियोक्ता आपके द्वारा किये गये कार्य की मजदूरी देने से इंकार करता है तो उसे आईपीसी की धारा 406 के तहत जेल का प्रावधान है। इसके लिए आपको श्रमिक न्यायालय, उपभोक्ता न्यायालय या व्यवहार न्यायालय में मामले को दर्ज कराना होगा।
किसी भी कर्मचारी के साथ किसी भी प्रकार का यदि कोई शोषण किया जाता है। तो उसकी शिकायत कर्मचारी Labor Court (श्रम न्यायालय) में कर सकते हैं। लेबर कोर्ट में ही ऐसी शिकायतों का निपटारा किया जाता है।
- कारखाना अधिनियम 1948
- श्रमिक क्षतिपूर्ति अधिनियम 1923
- कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 1948
- नियोजन स्थाई आदेश 1946
- मजदूरी भुगतान अधिनियम 1936
- प्रसूति लाभ अधिनियम 1961
- न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948
- औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947
- ठेका मजदूर (नियमन एवं उन्मूलन) अधिनियम 1970
- कर्मचारी परिवार पेंशन योजना 1971
- कर्मचारी भविष्य निधि कोष एवं उपबन्ध कोष अधिनियम 1952
- कर्मचारी जमा लिंक्ड बीमा योजना 1976
- प्रशिक्षु अधिनियम 1961
सरकार द्वारा कामगारों के कल्याणार्थ निम्नलिखित श्रम और आद्योगिक कानून बनाए गए जो निम्नानुसार है:-
यह जो कुछ जरुरी श्रमिक कानून व औद्योगिक अधिनियमों के बारे में अधिक जानकारी को जानने के लिए आप हमारे साथ जुड़े रहे, जिनकी जानकारी को विस्तार से बताया जाये गए। कारखानों व औद्योगों में काम करने वाले लोगो के शोषण को रोकने लिए श्रमिक कानून या औद्योगिक अधिनियम बनाया गया। इन कानूनों व अधिनियमों में समय-समय पर अनेक प्रकार के संशोधन किये गए, जिसके बारे में आगे हम विस्तार से जानेगें।
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