Sanitation Measures in Fairs, Festivals and Natural Calamities
मेले, त्यौहारों व प्राकृतिक आपदाओं में स्वच्छता के उपाय
परिचय
Introduction
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मेले व त्यौहारों के दौरान स्वच्छ्ता प्रबंधन
मेले व त्यौहार किसी देश की संस्कृति के परिचायक होते हैं, किन्तु इनके आयोजन के लिए विशेष प्रबंध व व्यवस्था की आवश्यकता होती है। मेले, त्यौहार व प्राकृतिक आपदाओं के समय मुख्य समस्या सफाई प्रबन्धों की होती है। मेले के समय विशाल जनसमूह एक जगह एकत्रिक होता है। उस जनसमूह पर नियंत्रण करना, लोगों के बैठने के लिए या चलने-फिरने का क्षेत्र निर्धारित करना, दुकानदारों को कारोबार या दुकानदारी सजाने के लिए जगह देना, वाहनों की पार्किंग व्यवस्था करना, पीने के पानी की व्यवस्था करना व अस्थाई शौचालयों का निर्माण करना आदि व्यवस्था करनी पड़ती है। मेले व त्यौहारों के दौरान बड़ी मात्रा में गंदगी एकत्रित होती है, जिसकी साफ-सफाई करने के लिए विशेष प्रयास करने पड़ते है।
प्राकृतिक आपदाओं के दौरान बड़ी मात्रा में जन-धन की हानि होती है। प्राकृतिक आपदाओं की गंदगी को तुरंत व तत्परता से साफ करना अनिवार्य होता है अन्यथा महामारी फैलने का डर रहता है। जैसे:- भारत की उत्तराखंड की प्राकृतिक आपदा के दौरान सरकार ने हताहतों को राहत देने के साथ-साथ सफाई व्यवस्था का पूरा प्रबंध किया, जिससे उत्तराखंड की त्रासदी से पीड़ित क्षेत्र महामारी की त्रासदी झेलने से बच गए।
मेले व त्यौहारों के दौरान विशाल जनसमूह एक जगह एकत्रित होता है। अतः वहां गंदगी फैलना या अव्यवस्था होना स्वाभाविक है। मेले व त्यौहारों के दौरान सरकार विशाल पूर्वनियोजित योजना बनाकर मेले व त्यौहारों में होने वाली अव्यवस्था को दूर करने का प्रयास करती है। किन्तु प्राकृतिक आपदाओं से निपटना एक कठिन कार्य है। इस समय सरकार को दोहरी व्यवस्था करनी पड़ती है। एक तो प्राकृतिक आपदाओं की गंदगी को तुरंत व तत्काल साफ करना जरुरी होता है, दूसरे प्राकृतिक आपदाओं से त्रस्त व्यक्तियों को राहत-सामग्री पहुंचाना भी आवश्यक होता है। प्राकृतिक आपदाओं के समय अच्छी से अच्छी सरकार की व्यवस्था भी गड़बड़ा जाती है। अतः आवश्यकता इस बात की है कि सरकार पूर्व नियोजत योजनाएं बनाकर हर परिस्थिति से निपटने की लिए तैयार रहे।
मेले, त्यौहारों व प्राकृतिक आपदाओं के समय सरकार कैसी योजनाएं बनाए,जिससे इन स्थितियों में किसी प्रकार की अव्यवस्था या भोजन, पानी रोशनी आदि की कमी ना होने पाए तथा इन व्यवस्थाओं के संचालन में किस विभाग का कितना व कैसा सहयोग हो ? इन सब बातों के बारे में आगे जानेगे।
मेले व त्यौहारों के दौरान स्वच्छ्ता प्रबंधन
Sanitary Management During Fairs and Festivals
- स्थान का चयन (Selection of Location):-
- छुट्टी का ऐलान (Announcement of Holiday):-
- संकट की स्थिति (Conjuncture):-
- सफाई कर्मियों की व्यवस्था (Arrangement of Cleaning personnel):-
- पानी की व्यवस्था (Arrangement of Water):-
- अस्थाई शौचालय (Temporary Latrine):-
- लंगर की व्यवस्था (Arrangement of Charity Kitchen):-
- सेनेटरी इंस्पेक्टर की भूमिका (Role of Sanitary Inspector):-
मेले, त्यौहारों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों व देश के राष्ट्रीय त्यौहारों के दौरान साफ-सफाई व व्यवस्था रखने के लिए कुछ प्रबंध किए जाते है, जो निम्न प्रकार है:-
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उत्स्व वाले स्थान का चयन करके उसकी सफाई की जाती है। ऊंचे-नीचे स्थान को मिट्टी डलवाकर एक सा किया जाता है। उस स्थान पर नक्शा अनुसार पंडाल, टैंट, पानी, स्नानघर, शौचालय, दुकानों के लिए जगह, पार्किंग, लंगर आदि की व्यवस्था की जाती है। लम्बे समय के मेले में पुलिस, ट्रैफिक चौकियां, सुरक्षात्मक प्रबंध, चिकित्स्कीय सहायता, प्राथमिक उपचार सहायता, चलती-फिरती व स्थाई डिस्पेंसरी, कंट्रोल रूम आदि की व्यवस्था भी की जाती है। ये सभी व्यवस्थाएं मेला या त्यौहार आने से पूर्व कुछ समय पहले कर ली जाती है तथा विभिन्न सरकारी व गैर-सरकारी कर्मचारियों की ड्यूटी निर्धारित कर दी जाती है।
राष्ट्रीय उत्स्व या बड़े त्यौहारों के दौरान सरकारी छुट्टी का ऐलान किया जाता है। यह अवकाश सभी सरकारी दफ्तरों,स्कूलों, कॉलेजों व कार्यालओं में लागु होता है, जिससे लोग तनाव मुक्त होकर अपने त्यौहार को आनंदपूर्वक मना सकें।
मेले व त्यौहारों के दौरान संकटकालीन स्थिति से निपटने के लिए संबंधित विभाग द्वारा उचित प्रबंध किए जाते हैं। जैसे-मेले में भगदड़ न हो इसके लिए पुलिस बल लगाया जाता है। यदि मेले में लड़ाई-झगड़ा या कोई हादसा हो जाए, तो तैनात पुलिस बल द्वारा उसका निपटारा किया जाता है। यदि मेले के दौरान कोई बीमारी फैल जाए (हैजा, उल्टी, दस्त इत्यादि) तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा इनसे निपटने के लिए प्राथमिक चिकित्सा हेतु डॉक्टर, नर्स, एम्बुलेंस आदि की व्यवस्था की जाती है। बरसात, धूप, आंधी आदि की स्थिति से निपटने के लिए अनेक सरकारी, गैर-सरकारी सामाजिक संस्थाएं, स्वयंसेवी संगठन के कार्यकर्ता मिलकर कार्य करते हैं। तथा सभी के सहयोग से प्राकृतिक आपदा के समय व्यवस्था बनाए रखने में सहायता मिलती है।
मेले व त्यौहारों के दौरान गंदगी फैलना स्वाभाविक है। इसलिए मेले व त्यौहारों के दौरान सफाई कर्मियों की 24 घंटे की ड्यूटी लगाई जाती है। जगह-जगह कचरा पात्र रखे जाते है व सरकारी कर्मचारियों, स्वयंसेवी कर्मचारियों की मदद से सफाई व्यवस्था रखी जाती है।
मेले के दौरान यदि पीने के पानी की उचित व्यवस्था ना की जाए तो दूषित पानी महामारी फैला सकता है। इसलिए मेले के दौरान स्थानीय सरकार द्वारा पिने के पानी की टंकियों की व्यवस्था की जाती है। जगह-जगह पीने के पानी के अस्थाई प्याऊ, मटके, वाटर कूलर, छोटी टंकी रखी जाती है, जिससे लोग पीने के पानी के लिए परेशान ना हों।
मेले अधिकतर आबादी से दूरस्थ स्थानों पर लगते हैं। ऐसे स्थानों पर शौचालय की व्यवस्था करना अनिवार्य होता है। अतः मेले के समय अस्थाई शौचालय की व्यवस्था भी की जाती है।
हर व्यक्ति मेले का भरपूर आनंद ले सके, इसके लिए मेले व त्यौहारों के समय सरकार की तरफ से मुफ्त खाने-पीने की वस्तुएं उपलब्ध कराई जाती है। इसके लिए जगह-जगह लंगर या प्रसाद वितरण की व्यवस्था की जाती है।
मेले व त्यौहारों के समय खाने-पीने की वस्तुओं की मांग बढ़ जाती है। इसलिए अधिकतर दुकानदार अपने मॉल की गुणवत्ता घटा देते हैं। मेले व त्योहारों का स्तर न गिरे, इसकी निगरानी सेनेटरी इंस्पेक्टर द्वारा की जाती है।