Public Health Administration
सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रशासन
राष्ट्रिय स्वास्थ्य सुरक्षा संगठन
National Health Care Organization
भारत में कुपोषण, नवजात मृत्यु दर, रोगों का प्रसार, सुरक्षित पानी की कमी, सफाई व्यवस्था की कमी आदि स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं। लेकिन ये समस्याएं विभिन्न राज्यों में भिन्न-भिन्न हैं। जैसे - केरल में नवजात मृत्यु दर 12/1000 है, वहीं असम में 56/1000 है।
इसी प्रकार भारत में कुपोषण एक प्रमुख समस्या है। 2005 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में कुपोषण बच्चों (0-3 वर्ष) की संख्या 60 प्रतिशत है। इसका तात्पर्य यह है की विश्व में तीन कुपोषित बच्चों में से एक बच्चा भारत का है। मध्यप्रदेश में सबसे अधिक कुपोषण दर 50 प्रतिशत है, वहीं केरल में कुपोषण दर 27 प्रतिशत है।
रोगों का प्रसार भारत की लगभाग 20 प्रतिशत जनसंख्या को मौत के मुंह का शिकार बनाता है। डेंगू, हेपेटाइटिस, मलेरिया, निमोनिया, प्लेग आदि संक्रामक रोग भारत में महामारी के रूप में फैलते है तथा अनेक लोगों को मौत का ग्रास बना देते है। 2011 की रिपोर्ट के अनुसार एड्स जैसे रोग में भारत का विश्व में तीसरा स्थान है। ये रोग पर्याप्त दवाइयों के अभाव में, टीकाकरण के अभाव में, सुरक्षित पीने के पानी की उपलब्धता की कमी व पर्याप्त स्वच्छ्ता के अभाव में फैलते है।
भारत में इन सब समस्याओं से निपटने के लिए बड़ी मात्रा में स्वास्थ्य प्रयास किए जा रहे हैं। जैसे:- बच्चों का प्रसार न हो इसलिए "राष्ट्रिय टीकाकरण कार्यक्रम" चलाया गया है। ये कार्यक्रम भारत में 1995-1996 से संचालित इसके अंतर्गत भारत के 5 वर्ष तक के बच्चों का मुफ्त में टीकाकरण किया जाता है। आज भारत के करीब 57 प्रतिशत बच्चे इस टीकाकरण का लाभ उठा रहे हैं। ऐसा लक्ष्य रखा गया था कि 2020 तक भारत पूर्ण टीकाकरण के लक्ष्य को प्राप्त कर लेगा। परन्तु कोरोना महामारी के दौरान यह लक्ष्य कुछ वर्ष आगे चला गया है। इस कार्यक्रम के कारण ही भारत आज पोलियो मुक्त राष्ट्र कहलाता है।
भारत में ह्रदय व हार्ट अटैक के कारण प्रतिवर्ष अनेक लोगों की मृत्यु हो जाती है। इन रोगों की रोकथाम के लिए भारत में गैर-सरकारी संस्था (Non Governmental Organization- NGO) की स्थापना की गई है। NGO से संबंधित अनेक संस्थान जैसे:- भारतीय ह्रदय संस्थान (Indian Heart Association) व मेडविन फाउंडेशन (Medwin Foundation) भारत में ह्रदय रोग व अन्य रोगों की रोकथाम के लिए कार्यरत हैं।
भारत में करीब 112 मिलियन घरों में आज भी टॉयलेट नहीं है। भारत के 50 प्रतिशत लोग खुले में शौच करते थे। ये अकड़े बांग्ला देश (7 %), ब्राजील (7%) व चीन (4%) के आकड़ो से बहुत अधिक हैं। खुले में शौच अनेक रोगों को आमंत्रण देता है। इसलिए भारत सरकार ने घर-घर में शौचालय बनवाने के लिए बड़े मापक बनाए हैं। इसके अंतर्गत लोगों को घरों में शौचालय बनवाने के लिए ना केवल आर्थिक सहायता दी जाती है, बल्कि उन्हें अनेक प्रकार से प्रोत्सहित किया जाता है तथा शौचालय न बनवाने वालों के खिलाफ ना केवल प्रशासन कार्यवाही करता है, बल्कि उनको सामाजिक बहिष्कार भी ष्ण पड़ता है (जैसे :- अभी मुरादाबाद में एक वधु ने ससुराल में शौचालय न होने पर शादी से इंकार कर दिया)। वर्तमान में मोदी सरकार सफाई सुरक्षा के प्रति सजग है। वर्तमान सरकार ने ना केवल घर-घर में सुलभ शौचालय बनवाए हैं, बल्कि पम्पलेट, अख़बार, टीवी आधी द्वारा प्रचार कर लोगों को स्वच्छ्ता के प्रति जागरूक किया है, जिससे लोग सफाई व्यवस्था के प्रति जागरूक हुए हैं तथा रोगों का प्रसार कम हुआ है।
उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समूह (High Level Expert Group-HLEG) व दूसरे अन्य समितियों की अनुशंसा पर भारत में लोगों को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए भारत सरकार ने लोगों की स्वास्थ्य सुरक्षा को पंचवर्षीय योजनाओं में सम्मिलित किया है।
12वीं पंचवर्षीय (2012-2017) योजनाओं में स्वास्थ्य पर सकल घरेलू उत्पाद का कम से कम 2.5 फीसदी खर्च करने का प्रावधान है तथा योजना के अंत अर्थात 2017 तक यह हिस्सा 2.8 किए जाने की संभावना है। 12वीं पंचवर्षीय योजना स्वास्थ्य के लिए संपर्वित है। इस योजना में सार्वजनिक क्षेत्र के साथ-साथ निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाई गई है। सरकार का कहना है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत बनाने में निजी क्षेत्र की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसी प्रकार सरकार ने राष्ट्रिय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (National Ruler Health Mission-NRHM) की सफलता से उत्साहित हो कर इसे 5 वर्षों तक जारी रखने का फैसला किया है।
फिलहाल स्वास्थ्य क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने आपत्ति जाहिर की है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र को मजबूत बनाए बिना स्वास्थ्य जैसे संवेदनशील विषय की जिम्मेदारी निजी क्षेत्र को सौंपना अनुचित है।
भारत में स्वास्थ्य समस्याओं की लम्बी सूची है। आज भारत ऐसे मुकाम पर पहुंच गया है, जहां उसे अपने नागरिकों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना अनिवार्य हो गया है। भारत में "राष्ट्रिय स्वास्थ्य निति" की घोषणा स्वास्थ्य सुरक्षा की दॄष्टि से महत्वपूर्ण कदम है। यह निति भारत में अनेक स्वास्थ्य संगठनों की स्थापना करती है, जिससे उनका स्वास्थ्य सुधर सके तथा वे स्वस्थ व लम्बा जी सकें।
सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रशासन क्या हैं ? और किस प्रकार कार्य करता हैं ? What is Public Health Administration ? read more

- राष्ट्रिय स्वास्थ्य बीमा योजना (National Health Insurance Plan):-
- राष्ट्रिय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (National Child Health Programme):-
- महिला एवं बाल विकास विभाग (Ministry of Women and Child Development):-
- अपाहिज व्यक्तियों की स्वास्थ्य सुरक्षा करताहै तथा उनके रहने व खाने-पीने की व्यवस्था भी करता है।
- पारिवारिक बाल-अपराधी को सुधारना तथा उसे नशा करने से रोकना।
- जच्चा-बच्चा की स्वास्थ्य सुरक्षा करना तथा उनको पौष्टिक भोजन के महत्व के बारे में बताना व संक्रामक रोगों की रोकथाम के उपाय करना।
- केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड (Central Social Welfare Board):-
- स्वयंसेवी संस्थाएं (Voluntary Organizations):-
- इंडियन रेड क्रॉस
- रोटरी क्लब
- भारतीय बाल कल्याण परिषद
- लायंस क्लब
- कस्तूरबा मेमोरियल
- भारत विकास परिषद
- ऑल इंडिया ब्लाइंड सोसायटी
- इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेंटल हाइजिन
- टी. बी. एसोशिएशन ऑफ़ इंडिया आदि।
भारत के कुछ राष्ट्रिय स्वास्थ्य सुरक्षा संगठनों का विवरण निम्न प्रकार है:-
राष्ट्रिय स्वास्थ्य बीमा योजना 1 अप्रैल २००८ से लागू की गई है। यह योजना भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लागू की। इस योजना का लक्ष्य भारत के गरीब नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा करना है, जो इलाज के अभाव में वेदना भरी जीवन जीने को मजबूर हैं। इस योजना के अंतर्गत भारत के गरीबी रेखा के नीचे (Below Poverty Line-BPL) के नागरिकों को सभी सरकारी व गैर-सरकारी अस्पतालों में इलाज की मुफ्त सुविधा दी जाती है। आज भारत के करीब 36 मिलियन लोग इस योजना का लाभ उठा रहे हैं। इस योजना ने भारत के गरीब परिवारों को इलाज के अभाव में होने वाली मौतों से बचाया है। भारत की राष्ट्रिय स्वास्थ्य बीमा योजना ने अपनी अजग क्रियाशीलता से विश्व बैंक (World Bank) से पदक प्राप्त किया है तथा संयुक्त राष्ट्र (United Nation-UN) तथा अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization-ILO) ने इसे विश्व की सर्वश्रेठ स्वास्थ्य बीमा योजना घोषित किया है।
भारत में नवजात मृत्यु दर को कम करने के लिए ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत राष्ट्रिय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाया गया है। इस कार्यक्रम का मुख्य लक्ष्य भारत के कुपोषण, रोगों तथा टीकाकरण के अभाव में होने वाली नवजातों की मृत्यु को रोकना है। इस कार्यक्रम के द्वारा भारत में नवजात मृत्यु दर में बड़ी मात्रा में कमी आई है।
यह संस्थान या संगठन केंद्र सरकार के अधीन कार्यरत है तथा औरतों व बच्चों की स्वास्थ्य सुरक्षा करना इसका कार्य है। इसके अतिरिक्त यह कुछ और कार्यों में भागीदारी निभाता है, जिसको नीचे निम्न प्रकार से बताया गया है:-
यह बोर्ड भारत में 1953 से स्वास्थ्य सेवाओं के लिए कार्यरत है। इसके अंतर्गत स्वयंसेवी संस्थाएं तथा महिला कल्याण मंडल बनाए गए हैं। इन संस्थाओं को केंद्र सरकार की तरफ से स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए विशेष सहायता व अनुदान दिए जाते हैं। ये संस्थाएं आंगनबाड़ी कार्यक्रम चलाने में सहयोग करती हैं। आंगनबाड़ी में 6 वर्ष तक की आयु के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दी जाती है तथा उन्हें पौष्टिक दलिया, दूध, पाउडर, फल अदि का वितरण किया जाता है। साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बच्चों के टीकाकरण कार्यक्रम में सहायता देते है, प्लस पोलियो कार्यक्रम की सफलता में सहयोग देते है तथा गर्भवती महिलाओं को टिटनस के टीके तथा आयरन की कमी होने पर, आयरन व फोलिक एसिड की गोलियां आंगनबाड़ी द्वारा गर्भवती महिलाओं को मुफ्त दी जाती है।
भारत में कुछ स्वयंसेवी संस्थाएं भी लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने का कार्य कर रही हैं। ये संस्थाएं अपने-अपने क्षेत्र में स्वास्थ्य समस्याओं के आधार पर कार्यरत हैं। भारत एक विशाल देश है। इसके विभिन्न राज्यों, राज्यों के जिलों, कस्बों, शहरों, गावों व समुदायों में भिन्न-भिन्न स्वास्थ्य समस्याएं हैं, जिनका आकलन करना फिर उसी के अनुसार योजनाएं क्रियान्वित करना बहुत कठिन है। एक राज्य की स्वास्थ्य दशाएं, दूसरे राज्य से भिन्न होती हैं। अतः यदि एक ही नीति पूरे देश में लागू की जाए, तो इसका परिणाम ज्यादा प्रभावकारी नहीं होता क्योंकि हो सकता है की जिन नीतियों की चार राज्यों राज्यों को आवश्यकता है, उन नीतियों की अन्य दो राज्यों को आवश्यकता ना हो। इसलिए स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए ऐसी संस्थाओं की आवश्यकता महसूस की गई, जो अपने क्षेत्र में व्याप्त स्वास्थ्य आवश्यकताओं के अनुसार कार्य कर सकें। इस प्रकार स्वयंसेवी संस्थाएं स्वस्थ दशा को सुधारने में महत्वपूर्ण संस्था के रूप में उभरकर आई। इन संस्थाओं को आर्थिक सहायता दी, जिससे इसके कार्यों में कोई रुकावट या बढ़ा ना आए।
भारत में कार्यरत कुछ स्वयंसेवी संगठन निम्न प्रकार है, जिनके नामों को नीचे बताय गया है:-
उपरोक्त स्वयंसेवी संस्थाओं के अलावा भारत में अनेक सरकारी व गैर सरकारी संगठन (जैसे:- राष्ट्रिय कुष्ठ निवारण संघ, राष्ट्रिय तपेदिक रोकथाम कार्यक्रम, एड्स कार्यक्रम, सामाजिक कल्याण विभाग, परिवार नियोजन कार्यक्रम आदि) भारतीयों की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए कार्यरत है।