जल अधिनियम, 1974
Water Act, 1974
जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 भारत में जल प्रदूषण को रोकने और नियंत्रित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कानून है। इसका उद्देश्य जल के स्रोतों को स्वच्छ बनाए रखना और जल की गुणवत्ता को बनाए रखना है।
वायु व जल मानव जीवन के मुलभुत तत्व है। वायु व जल के बिना जीवन की कल्पना असंभव है। मानव को प्रत्येक क्षण हवा की आवश्यकता रहती है, जिससे वह सांस लेता है तथा प्रत्येक दिन दैनिक कार्यों की पूर्ति करने के लिए तथा पीने के लिए जल की आवश्यकता होती है। अतः यह आवश्यक है की जन स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए वायु व जल को प्रदूषण रहित रखा जाए।

जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974
जल के प्रदूषित होने पर जन स्वास्थ्य को बहुत बड़ा खतरा पहुँचता है। प्रदूषित जल संक्रामक रोग जैसे:- हेपेटाइटिस, पोलियो, दस्त, टाइफाइड, हैजा तथा पेट केकीड़ो आदि घातक रोगों का कारण बनता है। इसलिए प्रत्येक देश की सरकार द्वारा अपने देशवासियों को स्वच्छ जल उपलब्ध करवाने के लिए अनेक कार्य किये गए है। इसी दिशा में भारत में स्वच्छ जल हेतु सबसे पहले कानून 1974 में बना। जो जल (प्रदूषण पर नियंत्रन एवं रोकथाम) अधिनियम, 1974 कहलाया।
जल अधिनियम (Water Act) 1974, सबसे पहले असम, बिहार, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, राजिस्थान, त्रिपुरा व पश्चिम-बंगाल तथा केंद्रशासित प्रदेशों में लागु किया गया। बाद में अन्य राज्यों ने इसे सविधान की धारा (1) अनुछेद 252 (Clause (1) of Artical 252) के अंतर्गत अपनाया।
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- जल प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण।
- जल की स्वच्छता बनाए रखना या उसे बहाल करना।
उद्देश्य
मुख्य प्रावधान
- केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की स्थापना:
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB):
- राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCB):
- बोर्डों के कार्य और शक्तियाँ:
- जल प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और उन्मूलन के कार्यक्रमों की योजना बनाना और उन्हें क्रियान्वित करना।
- रजल प्रदूषण से संबंधित मामलों में सरकार को सलाह देना।
- प्रदूषकों के निर्वहन के मानक निर्धारित करना।
- जल के नमूनों का विश्लेषण करना और निगरानी करना।
- प्रदूषकों के निर्वहन पर प्रतिबंध:
- जल निकायों में निर्धारित मानकों से अधिक प्रदूषकों के निर्वहन पर प्रतिबंध है। किसी भी उद्योग, संयंत्र, या निर्माण इकाई को जल में प्रदूषक छोड़ने के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति लेनी होती है।
- निरीक्षण और निगरानी:
- बोर्डों को यह अधिकार है कि वे किसी भी उद्योग या संयंत्र का निरीक्षण कर सकते हैं, जल के नमूने ले सकते हैं, और परीक्षण कर सकते हैं।
- दंड और दंडनीयता:
- बअधिनियम का उल्लंघन करने पर कठोर दंड का प्रावधान है, जिसमें जुर्माना और कारावास शामिल हो सकते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रदूषणकारी इकाइयाँ अधिनियम का पालन करें, निगरानी और प्रवर्तन के कठोर उपाय किए जाते हैं।
यह बोर्ड जल प्रदूषण से संबंधित राष्ट्रीय नीतियों का निर्माण और उनके कार्यान्वयन की निगरानी करता है।
यह राज्य स्तर पर जल प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण के उपायों का कार्यान्वयन करता है।
कार्यान्वयन
अधिनियम का कार्यान्वयन केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के माध्यम से होता है। ये बोर्ड विभिन्न उद्योगों, नगरपालिका निकायों, और अन्य स्रोतों से जल प्रदूषण के स्तर की निगरानी करते हैं और आवश्यकतानुसार कार्रवाई करते हैं।
जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 का उद्देश्य जल के स्रोतों को प्रदूषण से मुक्त रखना और उन्हें सभी जीवित प्राणियों के लिए सुरक्षित और उपयोगी बनाए रखना है।