जल
Water
अनेक प्रकार के कार्बनिक व अकार्बनिक पदार्थो का पानी में होना ही जल प्रदूषण कहलाता है। जैसे धूल-मिट्टी, तेल का रसाव, प्राकृतिक आपदाएं, सीवरेज व वाटर टैंक आदि में से लगातार रिसाव होने के कारण जल प्रदूषित हो सकता है।
- जल प्रदूषण के बड़े कारण (Large Causes o f Water Pollution)
- जल प्रदूषण के छोटे कारण (Small Causes o f Water Pollution)
जल प्रदूषण के कारणों को मुख्यता: दो भागों में बांटा गया है :-

- जल प्रदूषण के बड़े कारण (Large Causes o f Water Pollution):-
- प्राकृतिक आपदाएं (Natural Calamities):-
- प्रऔद्योगिक कचरा (Industrial waste:):-
- प्लास्टिक प्रदूषण (Plastic Pollution):-
- तेल का रिसाव (oil spills):-
- खनन गतिविधियाँ व विकास कार्य (Mining Activities and Development Works):-
- कृषि रसायन (Agricultural Chemicals):-
- आयत-निर्यात (Import-Export):-
- जल प्रदूषण के छोटे कारण (Small Causes o f Water Pollution):-
- घरेलू रसायनों का उपयोग (Use of household chemicals):-
- पानी के पाइपलाइन से रिसाव (leaking from water pipeline):-
- वाहनों से होने वाला प्रदूषण (Pollution from Vehicles):-
- शहरों की नालियां व सीवरेज (City Drains and Sewerage):-
- नहाना व धोना (Bathing and Washing):-
प्राकृतिक आपदाएं जैसे:- बाढ़, सूखा भूकंप, ज्वालामुखी आदि जल को प्रदूषित करने के मुख्य कारण हैं। जे बारिश के दिनों के दौरान बाढ़ आने से नदियों के जल में अनेक प्रकार के कार्बनिक व अकार्बनिक पदार्थ मिल जाते जो जो जल को प्रदूषित करने का सबसे बड़ा कारण बनता है।
उद्योगों से निकलने वाला रासायनिक कचरा, भारी धातुएं, और विषाक्त पदार्थ सीधे नदियों, झीलों, और समुद्रों में छोड़े जाते हैं, जिससे जल प्रदूषित हो जाता है।
प्लास्टिक कचरे का जल स्रोतों में जमाव, विशेषकर नदी और समुद्र में, जल प्रदूषण का एक बड़ा कारण है। प्लास्टिक धीरे-धीरे टूटकर छोटे-छोटे टुकड़ों में बदल जाता है जो जलीय जीवन को नुकसान पहुंचाते हैं।
समुद्रों और नदियों में तेल के टैंकरों से होने वाला रिसाव, तेल प्लेटफार्मों से होने वाले रिसाव और अन्य तेल संबंधी दुर्घटनाएँ जल प्रदूषण का एक महत्वपूर्ण कारण हैं।
खनन के दौरान निकलने वाली मिट्टी, रसायन, और भारी धातुएं जल स्रोतों में मिलकर प्रदूषण फैलाती हैं। इसके साथ विकास कार्य जैसे बांध, सड़क निर्माण, और अन्य विकास कार्यों के दौरान मिट्टी, धूल और अन्य निर्माण सामग्री जल स्रोतों में मिलकर प्रदूषण फैलाते हैं।
फसलों की वृद्धि के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कीटनाशक, उर्वरक, और अन्य रसायन बारिश के साथ मिलकर जल स्रोतों में चले जाते हैं, जिससे जल प्रदूषित हो जाता है।
विश्व में अधिकतर देशों में व्यपार का माध्यम समुंद्री मार्ग हैं। कभी-कभी समान से भरे समुंद्री जहाज दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। जिनका सारा मलबा समुन्दर में ही जाता है। जिनमे कुछ तो तेल के जहाज भी होते है जो की बहुत अधिक मात्रा में समुंद्री जल को प्रदूषित करते हैं।
Safe Methods of Liquid Waste Disposal तरल गंदगी को निपटाने के सुरक्षित तरीके
बर्तन धोने के डिटर्जेंट, कीटनाशक, और सफाई उत्पादों का अधिक उपयोग और उनका अपशिष्ट जल स्रोतों में मिलना।
पुराने और खराब हो चुके पाइपलाइनों से होने वाला रिसाव, जिससे पानी में धातु और अन्य रासायनिक तत्व मिल जाते हैं।
सड़कों पर वाहनों से निकलने वाला तेल, ग्रीस, और अन्य तरल पदार्थ बारिश के साथ बहकर जल स्रोतों में पहुंचते हैं।
शहरों की सड़कों पर पड़ी गंदगी और कचरा बारिश के पानी के साथ बहकर जल स्रोतों में मिल जाती है। कुछ स्थानों पर सीवरेज लाइन को नदियों से जोड़ने या सीवरेज पाइप में लीकेज के कारण, सीवरेज का गन्दा जल नदियों व धरती के भूजल को प्रदूषित करता है।
अक्सर देखा जाता है कुछ लोग नदियों के तट नहाते व कपड़े धोते हैं जिससे साबुन व सर्फ़ से कपड़े धोने से निकलने वाला दूषित जल नदियों के पाने में मिल जाता हैं जो नदियों की जल को प्रदूषित करने का एक मुख्य कारण बनता हैं।
जल संरक्षण के स्रोत (Sources of Water Conservation)
- मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव:-
- जलीय जीवन पर असर:-
- पेयजल संकट:-
- पर्यावरण पर प्रभाव:-
- खाद्य श्रृंखला पर असर:-
- आर्थिक नुकसान:-
- भूजल प्रदूषण:-
जल प्रदूषण के कारण चाहे छोटे या बड़े हों, इसके परिणाम हमेशा गंभीर और चिंताजनक होते हैं। कुछ प्रमुख परिणाम इस प्रकार हैं:-
प्रदूषित जल पीने से विभिन्न बीमारियाँ हो सकती हैं, जैसे कि दस्त, हैजा, टाइफॉइड, और पीलिया। इसमें भारी धातुएं और रासायनिक प्रदूषक होने पर यह कैंसर, त्वचा रोग, और तंत्रिका तंत्र से जुड़ी बीमारियों का कारण बन सकता है।
जल प्रदूषण के कारण मछलियों, पौधों, और अन्य जलीय जीवों का जीवन संकट में पड़ जाता है। ऑक्सीजन की कमी, रसायनों का प्रभाव, और पानी में फैले विषाक्त पदार्थों के कारण उनकी प्रजनन क्षमता और जीवन चक्र पर बुरा असर पड़ता है।
जल स्रोतों के प्रदूषित होने के कारण स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल की उपलब्धता में कमी आती है, जिससे जल संकट उत्पन्न होता है। यह समस्या विशेष रूप से ग्रामीण और शहरी गरीब क्षेत्रों में अधिक होती है।
प्रदूषित जल का असर पूरे पर्यावरण पर पड़ता है। भूमि में जल की पुनः पूर्ति नहीं हो पाती, जिससे कृषि, वन्यजीवन, और समग्र पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
जल प्रदूषण का प्रभाव खाद्य श्रृंखला पर भी पड़ता है। जलीय जीवों में विषाक्त पदार्थों के जमा होने से जब ये जीव मानव भोजन के रूप में उपयोग होते हैं, तो वे स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनते हैं।
प्रदूषित जल स्रोतों की सफाई, स्वास्थ्य पर खर्च, और कृषि पर पड़ने वाले प्रभावों के कारण अर्थव्यवस्था पर भारी बोझ पड़ता है। पर्यटन और मत्स्य उद्योग भी जल प्रदूषण से बुरी तरह प्रभावित होते हैं।
प्रदूषक तत्व जमीन में रिसकर भूजल को भी प्रदूषित कर सकते हैं, जिससे लंबे समय तक पानी की गुणवत्ता खराब रहती है और इसका असर पीढ़ियों तक हो सकता है।