Food and Nutrition
भोजन और पोषण
वसा
Fats
वसा, वसा अम्ल (Fatty Acids) व ग्लाईसरोल (Glycerol) से निर्मित होते है। ग्लाईसरोल का प्रत्येक अणु तीन वसा अम्ल से जुड़ा होता है। ग्लाईसरोल व वसा कार्बन, हाइड्रोजन व ऑक्सीजन के यौगिक होते है।
वसा, एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है क्योंकि वसा में अधिक मात्रा में अधिक समय तक स्थायी ऊर्जा उत्पादित होती है। ह्रदय की मांसपेशियों को मुख्य रूप से ऊर्जा वसा से ही प्राप्त होती है। वसा आंतरिक अवयवों के चारों और जमा होकर स्थिरता प्रदान करते है व कोशिकाओं की रचना में भाग लेते हैं तथा आकस्मिक आघात के समय शरीर की यथाशक्ति रक्षा करते हैं।
मनुष्य के पोषण में कुछ वसा अम्ल अधिक महत्वपूर्ण होते है, जिन्हे आवश्यक वसा अम्ल कहते हैं जैसे:- अल्फा लिनोलेनिक (Alpha Linolenic Acid) व लिनोलेनिक अम्ल (Linolenic Acid), आर्किडोनिक (Arachidonic) आदि। वसा का शरीर में अवशोषण लाइपेज एंजाइम (Lipase Enzymes) द्वारा होता है।
- संतुलित वसा (Balanced Fat):- ऐसे वसा जो की पशुओं से प्राप्त होते हैं जैसे:- घी, मक्खन आदि।
- असंतुलित वसा (Unbalanced Fat):- ऐसे वसा जो कि पौधों से प्राप्त होते है, असंतुलित वसा कहलाते हैं। जैसे: मूंगफली, सोयाबीन, नारियल आदि।
वसा (Fats) मुख्यता: दो प्रकार के होते हैं:-

(Carbohydrates कार्बोहाइड्रेट) Sources, Functions, Deficiency, Excess and Requirement of Carbohydrates कार्बोहाइड्रेट के स्रोत, कार्य, कमी, अधिकता व आवश्यकता read more
- वसा के स्रोत (Sources of Fat):-
- जीवों से (From Animals):-
- वनस्पतियों से (From Plants):-
- वसा की आवश्यकता (Requirement of Fat):-
- वसा के कार्य (Functions of Fat):-
- वसा गर्मी व ऊर्जा प्रदान करते है।
- वसा द्वारा विटामिन A, B, E व K प्राप्त होते है।
- महीन अंगों को सुरक्षा प्रदान करता है।
- चमड़ी के नीचे उपस्थित वसा की परत संक्रमण और रक्त विषाक्तता के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है।
- वसा हमारे शरीर के तापमान को नियंत्रित करती है।
- वसा द्वारा शरीर को आवश्यक वसीय अम्ल प्राप्त होते हैं।
- वसा की कमी (Deficiency of Fat):-
- वसा की कमी से त्वचा शुष्क हो जाती है।
- वसा की कमी से शरीर में कार्बोलिक अम्ल व पानी की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे पैरों में सूजन आ जाती है।
- आवश्यक फैटी अम्ल की कमी से फ्राइनोडरमा नामक रोग हो सकता है।
- वसा की अधिकता (Excess of Fat):-
- वसा पदार्थों का अधिक प्रयोग मोटापे को जन्म देता है।
- वसा के अधिक प्रयोग से ह्रदय रोग व अन्य रोग हो सकते है।
- वसा के अधिक प्रयोग से यह रक्त की शिराओं में जमने लगता है, जिससे रक्त संचार में बाधा पड़ती है। जो एथ्रोसेक्लोरोसिस (Atherosclerosis) नामक रोग को जन्म दे सकता है।
- वसा के अधिक प्रयोग से गुर्दें की पथरी हो सकती है।
वसा प्राप्त करने के मुख्य दो प्रकार है उनको नीचे बताया गया है।
मक्खन, घी, मछली का तेल आदि जीव-जगत से प्राप्त चिकनाई (वसा) के स्रोत हैं। जीव-जगत से प्राप्त वसा में वसा अम्ल की मात्रा कम होती है, परन्तु विटामिन A व D की मात्रा अधिक होती है।
मूंगफली का तेल, सरसों का तेल, सूर्यमुखी, सोयाबीन का तेल आदि वनस्पति जगत से प्राप्त वसा के स्रोत हैं।
वसा की दैनिक आवश्यकता निश्चित नहीं है। यह व्यक्ति की पाचक क्षमता पर निर्भर करती है की व्यक्ति वसायुक्त पदार्थों की कितनी मात्रा पचा सकता है ? यह व्यक्ति के हल्का-भारी कार्य करने पर निर्भर करता है। प्राय: व्यक्ति प्रतिदिन जितनी कैलरी का आहार लेगा, उसमें 20-30 प्रतिशत हिस्सा कैलोरी का होना जरूरी है।
जैसे:- यदि व्यक्ति 2500 कैलोरी का दैनिक आहार लेता है, तो उसमें 500 कैलोरी वसा पदार्थों की होनी चाहिए। अर्थात 55 ग्राम वसा पदार्थ दैनिक आहार में शामिल होना चाहिए। (1 ग्राम वसा = 9 कैलोरीज)