Liquid Waste Disposal
तरल अपशिष्ट निपटान
तरल अपशिष्ट के स्रोत
Sources of Liquid Waste
तरल अपशिष्ट से तात्पर्य उस कूड़े से है, जो तरल रूप में होता है। उदाहरण के रूप में, सीवर का पानी, घरों का गंदा पानी, उद्योगों के तरल रासायनिक पदार्थ और सिंचाई क्षेत्र का गंदा पानी तरल अपशिष्ट के उदाहरण हो सकते हैं। ये अपशिष्ट बाहर निकाले जाने से पहले उचित तरीके से विघटित किए जाने चाहिए ताकि पर्यावरण को कम हानि पहुंचे।

तरल अपशिष्ट के स्रोत
Why is Liquid Waste Disposal Essential ? तरल अपशिष्ट निपटान क्यों आवश्यक है ? read more
- सीवेज का पानी (Black Water or Sewage Water)
- कूड़े का पानी (Grey Water or Sullage Water)
तरल अपशिष्ट को मुख्यता: दो भागों में बांटा जा सकता है:-
ब्लैक वॉटर या सीवेज वॉटर वह पानी होता है जो घरेलू और औद्योगिक उपयोग के बाद निकलता है और जिसे सीवर से निकाला जाता है। यह पानी बहुत ही अधिक जीवाणुओं और विषाक्त पदार्थों का संग्रह करता है और उच्च मात्रा में बैक्टीरिया, वायरस, निकटतम रिसाव बॉडीज, निर्माण सामग्री और केमिकल शामिल होते हैं। इसलिए, इस पानी को संभवतः फिर से उपयोग करना सुरक्षित नहीं होता और इसे विशेष विघटन प्रक्रिया से गुजारा जाना चाहिए जैसे कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में या फिर कंपोस्टिंग या बायोमेथेनेशन प्रक्रिया में।
इस तरह के तरल अपशिष्ट में पशुओं, मानवों के मल-मूत्र के तरल अपशिष्ट, गलियों की तरल गंदगी, उद्योगों की रासायनिक गंदगी, कारखानों का गन्दा पानी, तेल, ग्रीस आदि तरल गंदगी को संम्मिलित किया जाता है।
इस प्रकार के तरल अपशिष्ट में घरों की रसोई का गन्दा पानी, पशुओं के पीने का पानी, सब्जी के धोने का पानी आदि सम्मिलित किया जाता है। इस प्रकार के तरल अपशिष्ट में मल-मूत्र तथा औद्योगिक रसायनों की खतरनाक तरल गंदगी को सम्मिलित नहीं किया जाता है।
ग्रे वॉटर या सुल्लेज वॉटर के रूप में जाना जाने वाला पानी एक तरल अपशिष्ट होता है जो घर के नल से आता है। इसमें आमतौर पर घर के बाथरूम, सिंक, बार, और नैलनी के पानी शामिल होता है। यह पानी न केवल जल संरचनाओं को भरने के लिए उपयोग किया जाता है, बल्कि इसे फूलों, घास और पौधों को सिंचाने के लिए भी उपयोग किया जा सकता है। इसे उपचार करने के लिए साधारणतया सीवर सिस्टम का उपयोग नहीं किया जाता है, बल्कि इसे आधुनिक तकनीक जैसे ग्रे वॉटर ट्रीटमेंट सिस्टम द्वारा उपचारित किया जाता है।
तरल अपशिष्ट के स्वास्थ्य पर प्रभाव
Effects of Liquid Waste on Health
तरल अपशिष्ट स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक हो सकते हैं। इनमें कई पाठ्यक्रमों के माध्यम से निर्मित तरल अपशिष्ट शामिल होते हैं जो अधिकतर जहरीले और जीवाणुओं से भरे होते हैं। इसमें विभिन्न आक्रामक तत्व होते हैं जैसे कि विषैले पदार्थ, बैक्टीरिया, वायरस और पारजीव। यदि ये अपशिष्ट पीने के पानी में मिले हों तो यह जीवाणुओं के कारण संक्रमण के खतरे को बढ़ा सकते हैं और विभिन्न प्रकार के बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
इसके अलावा, तरल अपशिष्टों का सीधा संपर्क स्वास्थ्य के लिए भी खतरा हो सकता है। यह सामान्य रूप से त्वचा, आंखों, नाक और मुंह से संपर्क में आता है और संक्रमण के कारण त्वचा और मुंह के रोगों को फैला सकता है।
जब ये तत्व पानी या फिर जमीन में प्रवेश करते हैं, तो वे जीवाणुओं और फसलों के लिए खतरनाक होते हैं। इसके अलावा, यदि तरल अपशिष्ट से निकलने वाले गैसों की मात्रा अधिक होती है, तो यह संभव होता है कि वे स्वास्थ्य के लिए अधिक खतरनाक हों।
इसलिए, तरल अपशिष्ट को सही ढंग से निस्कासित करना बहुत जरूरी होता है। इसलिए, तरल अपशिष्ट के संबंध में सख्त नियंत्रण और सुरक्षा उन लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है जो इस समस्या से निपटने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) में लगातार होने वाली महामारियों की जब जाँच की गई, तो पता चला कि प्रशांत महासागर में निरंतर फैलने वाली महामारियों के कारण तरल अपशिष्ट थे। प्रशांत महासागर के शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि प्रशांत महासागर में तरल गंदगी के निपटारे की उचित व्यवस्था नहीं है। वहां मानव के मल-मूत्र की तरल गंदगी सीधे नदियों में जाती है, तेल उत्पादक कारखाने तेल भरने के ड्रमों, मशीनों की सफाई करके तरल गंदगी को सीधे नदियों में बहा देते हैं। घरों का गन्दा पानी सीधे सड़कों पर बहता है तथा जमीन के अंदर घुसकर भूतल के पानी को दूषित कर देता है। शौचालय की उचित सुविधा ना होने के कारण लोग जल तटीय किनारों पर मल-मूत्र त्यागते हैं। लोगों की यह प्रक्रिया जल स्रोतों को अपशिष्ट बना देती है।
प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) के शोधकर्ताओं ने माना कि तरल गंदगी स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक खतरनाक है। तरल गंदगी ना केवल मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है बल्कि पशुओं, जलचरों, जलजीवों के लिए भी घातक है। तेल,ग्रीस आदि तरल गंदगी को पानी में बहाने से पानी के ऊपर एक परत जम जाती है, जिससे ऑक्सीजन की आपूर्ति अवरुद्ध हो जाती है व जल में रहने वाले जीवों का दम घुटने लगता है और वे मर जाते है। इसी प्रकार उद्योगों के तेजाबी तरल को पानी में बहाने से पूरा पानी दूषित हो जाता है तथा जब पशु इसमें नहाते हैं या इस जल को पीते हैं तो उनके शरीर पर खुजली तथा उन्हें पेट संबंधी रोग होने की संभावना रहती है।
- तरल गंदगी, 99 प्रतिशत पानी, 0.1 प्रतिशत ठोस गंदगी जैविक पदार्थ (सब्जी:- फलों के छिलके, पशुओं के मल-मूत्र, भोजन के अंश), अजैविक पदार्थ (बाल, नाख़ून, साबुन, पकड़े के टुकड़े, प्लास्टिक) घुलनशील व अधुलनशील तत्वों से मिलकर बनती है। जब इस तरह गंदगी में ठोस पदार्थ सड़ते हैं तो उसमें बदबू उत्पन्न कर देते हैं तथा वातावरण को प्रदूषित करते हैं।
- तरल गंदगी में मक्खी, मच्छर, रोगाणु, बैक्टीरिया आदि का बसेरा होता है, जो अनेक संक्रामक रोगों को जन्म देते हैं व उन्हें फैलाते हैं।
- जब तरल गंदगी को सड़क पर भहाया जाता है, तो इसके अंश मिट्टी में समा जाते हैं व भूतल को संक्रमित कर देते हैं। शोध बताते हैं कि तरल गंदगी भूतल के करीब 1600 फुट गहरे पानी को दूषित कर सकती है।
- जब तरल गंदगी नदी, समुन्द्र, तालाब आदि में जाकर मिलती है तो इसकी गंदगी नदी, तालाब, समुन्द्र आदि के पुरे पानी को दूषित कर देती है और जब इस पानी का मानव या पशु द्वारा उपयोग किया जाता है, तो उसके रोगग्रस्त होने की संभावना रहती है।
- तरल गंदगी से दूषित जल में नहाने से त्वचा संबंधी रोग हो जाते हैं।
- तरल गंदगी से जल में रहने वाले प्राणियों को नुकसान पहुंचता है।
- तरल गंदगी को अगर सड़क या कच्ची जगह पर बहा दिया जाए, तो वहा फिसलन, दलदल बनने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे दुर्घटना होने का भय रहता है।
- यदि तरल गंदगी पीने के पानी में बहा दी जाती है तथा उस पानी को बिना स्वच्छ किए पी लिया जाता है, तो उस पानी से लाखों लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है।
Very Good Yash , Keep it up Really nice informations. Thank you
ReplyDeleteit's my job to make people aware
DeleteIt is written correctly that it should be right for water.well done☺👍👍👍
ReplyDeleteYour Thank You
DeleteVery informative
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