Water
जल
परिचय
Introduction
जल जीवन का आधार है | "बिना जल के जीवन ही संभव नहीं है" | सौरमंडल के आठ ग्रहों में से पृथ्वी ही एक ऐसा गृह है, जहां जीवन है क्योंंकि यहां जल है | कहते है! "बिना जल सब सूना" अर्थातृ जल के बिना कुछ भी नहीं है | शरीर का 70 प्रतिशत भाग जल ही है |
लेकिन आज जीवन का यह महत्वपूर्ण आधार प्रदूषित होता जा रहा है | पृथ्वी का दो तिहाई (2/3) भाग जल होते हुए भी मानव के उपयोग योग्य जल की मात्रा बहुत कम है | बढ़ती जनसंख्या, औद्योगीकरण, बिजली के उत्पादन आदि के कारण जल की कमी होती जा रही है और जल के जितने भी उपयोग योग्य संसाधन शेष हैं, वे प्रदूषण के कारण दूषित होते जा रहे है तथा जल प्रदूषण की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है | प्रदूषित जल शरीर को हानि पहुंचाता है तथा अनेक रोगों को जन्म देता है | हैजा, पेचिश, पीलिया, टाइफाइड, मलेरिया आदि रोग प्रदूषित जल के कारण ही होते हैं | प्रदूषित जल में अनेक रासायनिक पदार्थ जैसे:- लोहा, मैंगनीज, तांबा, सीसा, जिंक, केडमियम, पारा आदि अधिक मात्रा में पाए जाते हैं | रासायनिक पदार्थों की अधिक मात्रा शरीर को हानि पहुंचाती है व शरीर को रोगग्रस्त कर देती है |

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने शुद्ध जल के भौतिक व रासायनिक गुण निश्चित किए हैं | भौतिक मानकों के अनुसार शुद्ध जल, शीतल, निर्मल, गंधरहित व स्वादहीन होता है | रासायनिक मानक के अनुसार जल का pH 7 से 8 के बीच में होना चाहिए | जल का 7 से कम pH जल को अम्लीय (Acidic) बनता है व 7 से अधिक pH जल को क्षारीय (Basic) बनाता है | दोनों ही स्थितियां शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं | जैविक मानक के अनुसार:- शुद्ध जल में अपद्रव्य क्षारीय कोलाइड प्रति 100 मिली में एक भी नहीं होना चाहिए तथा अन्य कोलीफार्म बैक्टीरिया 10 से अधिक नहीं होना चाहिए | यदि ऐसा होता है, तो जल अशुद्ध हो जाता है और इसके सेवन से स्वास्थ्य को हानि होती है | अतः उपयोग किए जाने वाले जल की भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणधर्म मानकों के अनुरूप ही होने चाहिए |
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